इस शहर के मातमी जुलूस में अमेरिका, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया व खाड़ी देशों से दौड़े चले आते हैं अजादार
नौगावां
दस मोहर्रम को अमरोहा के कस्बा नौगावां सादात में निकलने वाले 100 फीट ऊंचाई के ताजिए ने दुनिया भर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसी तरह मंडी धनौरा के गांव चुचैला कलां में भी 70 से 80 फीट के ऊंचे ताजिये हर साल आकर्षण का केंद्र रहे हैं। अजादारी के इस जज्बे को देखते हुए ही समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकाल में नौगावां सादात में कस्बे की बिजली लाइन ही अंडरग्राउंड करा दी थी। हालांकि सुरक्षा के चलते अब ताजियों की ऊंचाई को शासन ने मानकीकृत कर दिया है लेकिन अमरोहा के मातमी जुलूस में हिस्सा लेने देश-दुनिया से हुसैनी अजादार खिंचे चले आते हैं।
ईद के बाद शुरू हो जाता है ताजियों का निर्माण
अमरोहा में ताजियों का निर्माण ईद के बाद से ही शुरू हो जाता है। इसमें बांस के साथ ही रंग बिरंगी पन्नियों का इस्तेमाल किया जाता है। खास बात यह है कि बस्ती से सटे गांव बीलना से भी ताजिया निकलता है, जो यहां बस्ती तक पहुंचता है। अमरोहा से निकलने वाले ताजियों की अधिकतम ऊंचाई 30 फीट के आसपास रहती है। डिडौली क्षेत्र में भी अलग-अलग गांवों से ताजिए निकलते हैं।
कर्बला में 1400 साल पहले भूख और प्यास की शिद्दत के बीच तपती रेत पर यजीद से जंग के दौरान हुई इमाम हुसैन की शहादत की याद में मोहर्रम के महीने में अमरोहा में निकलने वाले मातमी जुलूस की तैयारियां अब आखिरी दौर में चल रही हैं। आजादारी के लिए अजाखाने सज चुके हैं। अजाखानों पर शोक के प्रतीक काले अलम लगाने के बाद नौबत बजाकर अजादारी ऐलान कर दिया जाएगा।
दूसरे देशों में रहने वाले भी जुलूस में शामिल होने आएंगे अमरोहा
मातमी जुलूसों में शिरकत कर हुसैनी गम मनाने के लिए आजादारों के कदम अपने वतन अमरोहा की ओर निकल गए हैं। महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, पंजाब व अन्य राज्यों से लोग अमरोहा पहुंचने लगे हैं तो वहीं दुबई, कनाडा, अमेरिका, नाइजीरिया व अन्य अरब देशों से भी लोग अमरोहा आ रहे हैं। कई लोग इस वक्त बीच सफर में हैं। दरअसल, हर साल इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मोहर्रम के महीने की तीन तारीख से अमरोहा में जुलूस का सिलसिला शुरू हो जाता है। जो सात दिन तक लगातार जारी रहता है। देश के विभिन्न शहरों और विदेश में रहने वाले लोग मोहर्रम से पहले ही अमरोहा आ जाते हैं।
20 साल से स्वदेश आने का क्रम नहीं टूटा
दुबई से सियादत नकवी भी अमरोहा पहुंच गए हैं। उनके मुताबिक वह 20 साल से हर साल मोहर्रम शुरू होने से पहले ही अमरोहा आकर तैयारियों में जुट जाते हैं। नाइजीरिया से जफर अब्बास अमरोहा पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि मोहर्रम में 15 दिन की छुट्टी लेने के लिए वह पूरे साल कंपनी में कोई छुट्टी नहीं लेते हैं। चांद नजर आने पर 19 या 20 जुलाई से मोहर्रम की शुरुआत हो रही है। जैसे-जैसे वक्त नजदीक आ रहा है वैसे वैसे अमेरिका, डेनमार्क, कुवैत, अफ्रीका, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया से भी लोग पहुंच जाएंगे।
शहर के 31 मोहल्लों के 72 इमामबाड़ों की गश्त करता है मातमी जुलूस
यह मातमी जुलूस शहर के 31 मोहल्लों में घूमता है। इस दौरान 72 इमामबाड़ों की गश्त होती है। जुलूस का सबसे बड़ा रूट मोहल्ला लकड़ा से सट्टी तक करीब 45 मिनट होता है। जुलूस सबसे ज्यादा 58 मिनट गुजरी तो 55 मिनट दानिशमंदान के इमामबाड़े में ठहरता है। जुलूस का पूरा रूट करीब 17 किमी होता है।