जुल्फें संवारने से बात नहीं बनेगी, चलिए किसी की जिन्दगी सवारें
रायपुर
स्टेट बैंक आफ इंडिया के नव पदस्थ प्रोबेशनरी आजीना इसी का नाम हैं – डॉ. नेरल का मोटीवेशनल व्याख्यानफिसर्स के लिए एक मोटीवेशनल व्याख्यान काजीना इसी का नाम हैं – डॉ. नेरल का मोटीवेशनल व्याख्यान आयोजन किया गया।
यह विशेष आयोजन इन आफिसर्स के 3 हफ्तों के एफ. टी. पी. -1 प्रशिक्षण का हिस्सा था जिसमें उन्हें बैंकिंग के अलावा जिÞन्दगी के अन्य पहलुओं पर प्रेरक उद्बोधन दिया गया। अतिथि वक्ता के रूप में चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के पैथालॉजी के प्रोफेसर विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द नेरल ने जीवन-शैली, नेतृत्व कुशलता, समय-प्रबन्धन और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में युवाओं की भूमिका पर रोचक व्याख्यान में मदर टेरेसा, मार्टीन लुथर किंग जूनियर, डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, दलाई लामा, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जी के उपदेशों के माध्यम से युवाओं को विभिन्न प्रकार की सामाजिक सेवाओं से समाज और देश की प्रगति में अपना योगदान देने का आह्वान किया ।
डॉ. अरविन्द नेरल ने अपने एक घंटे के व्याख्यान में कहा कि संस्थागत गतिविधियों के मूलभूत सिद्धांतों-सामुदायिक उत्तरदायित्व , समूह -भावना और श्रम-विभाजन के माध्यम से बड़ी-बड़ी गतिविधियों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पौराणिक राजसूय यज्ञ और भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने के लिए प्रत्येक ग्राम वासियों को अपना सहयोग देने के लिए प्रेरित करना इनके सर्वोत्तम उदाहरण हैं। शहद की तरह मीठे परिणाम की चाह हो तो मधुमक्खियों की तरह एकजुट होकर रहना होगा , फिर चाहे बात दोस्ती , परिवार समाज या देश की हो। समय प्रबंध को लेकर डॉ. नेरल ने कहा- "जिनके हाथों में पल नहीं होते,उनके हिस्से में कल नहीं होते" । उन्होने कहा कि युवाओं को भीड़ का हिस्सा नहीं, भीड़ में एक अलग उभरता चेहरा बन अपनी पहचान बनानी चाहिये जिसके लिए उन्हें अपने औसत और सामान्य दैंनदिनी कार्यो के अलावा कुछ रचनात्मक और सकारात्मक कार्य करने होंगे ।