पीओके में पाकिस्तान सरकार की संविधान में संशोधन की योजना के खिलाफ हुआ विरोध तेज
मुजफ्फराबाद (पीओके)
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के जिलों में 15वें संविधान संशोधन को लाने की पाकिस्तान सरकार की योजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। ये संशोधन स्थानीय सरकार की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों को इस्लामाबाद में स्थानांतरित कर देगा। इस बात की जानकारी स्थानीय मीडिया ने दी है। सरकार के इस फैसले के कराण क्षेत्र के सभी 10 जिलों के नागरिकों में आक्रोश है। इन विरोध प्रदर्शनों ने पीओके के अन्य इलाकों में रावलकोट, बाग, पुंछ, मुजफ्फराबाद और नीलम घाटी में हालात और खराब कर दिए हैं।
हाल ही में, क्षेत्र के एक कार्यकर्ता शब्बीर चौधरी ने कहा था कि संविधान में 15वें संशोधन को पेश करने के इस कदम के साथ, पाकिस्तान इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को नियंत्रित करने पर नज़र बनाए हुए है और लोगों से इसके खिलाफ आवाज़ उठाने का आग्रह किया, जहां सब कुछ पाकिस्तानी सेना और देश के प्रॉपर्टी टाइकून के नियंत्रण में है। चौधरी ने कहा, पाकिस्तान अपनी साम्राज्यवादी और रणनीतिक खेल योजना को समाप्त करना चाहता है जिसे उसने अक्टूबर 1947 में शुरू किया था। यह साम्राज्यवादी एजेंडा इस्लाम के नाम पर शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने साम्राज्यवादी एजेंडे को छिपाने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहा है। कार्यकर्ता ने कहा कि पीओके के लोग 22 अक्टूबर, 1947 से स्वतंत्र होने की झूठी बातों में जी रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि, बचपन से ही, सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तंत्र के माध्यम से हमारे बच्चों का ब्रेनवॉश किया जाता है और या उन्हें पाकिस्तान का एक अच्छा गुलाम बनने के लिए शिक्षित किया जाता है। कश्मीर परिषद को पुनर्जीवित किया जाएगा जिसमें पीओजेके विधान सभा के छह सदस्य और पाकिस्तान के सात सदस्य शामिल होंगे। इसमें पाकिस्तान के प्रधान मंत्री, रक्षा और विदेश मंत्री शामिल होंगे और इसका नेतृत्व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री करेंगे।
कश्मीर परिषद के पास कर (Taxes) एकत्र करने और अपना बजट पेश करने की शक्ति होगी। पाकिस्तान में 80 अरब रुपये की संपत्ति जो पीओजेके से संबंधित है, को कश्मीर संपत्ति परिषद के अंतर्गत लाया जाएगा और पीओजेके को इसकी बिक्री या इसे संरक्षित करने का कोई अधिकार नहीं होगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को मुख्य न्यायाधीश, उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के साथ-साथ पीओके के मुख्य चुनाव आयुक्त को सीधे नियुक्त करने का अधिकार होगा और प्रधानमंत्री द्वारा की गई नियुक्तियों को अदालतों में चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सभी वित्तीय शक्तियां पीओजेके की सरकार से पाकिस्तान को हस्तांतरित कर दी जाएंगी।
वहीं, क्षेत्र की संवैधानिक स्थिति को एक बार फिर से बदला जाएगा। कई परिवर्तनों के बावजूद, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की संवैधानिक स्थिति और स्थानीय सरकार के बीच शक्तियों के वितरण को विभिन्न सरकारों और पाकिस्तान राज्य द्वारा संतुष्ट नहीं किया जा सका है। बता दें कि पिछले 75 वर्षों में इस क्षेत्र की संवैधानिक स्थिति का निर्धारण करने के लिए पाकिस्तान सरकार का यह 24वां प्रयास होगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति के एक पत्र में कहा गया है कि इस संशोधन के माध्यम से, पीओके सरकार के चल रहे कार्यों को पाकिस्तान की प्रांतीय सरकारों के साथ जोड़ा जाएगा है। इसका मतलब यह है कि पीओके को संघीय इकाइयों (अर्थात संघ की अन्य इकाइयों) के रूप में माना जाएगा।
डेली सिख के लिए लिखते हुए हरजाप सिंह ने कहा कि 1 जुलाई से क्षेत्र में महिलाएं और बच्चे सड़कों पर बैठकर आजादी के नारे लगा रहे हैं और सेना से बैरक में वापस करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुंछ का इलाका कर्फ्यू जैसी स्थिति का सामना कर रहा है और कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवा आंशिक रूप से बंद है। टायर जलने के कारण सभी प्रकार के वाहनों के लिए सड़कें बंद कर दी गई हैं और पाकिस्तान के मुख्यधारा के मीडिया को इन दृश्यों को कवर करने से रोका जा रहा है। हरजाप ने लिखा, पुंछ के खैगाला इलाके में विरोध प्रदर्शनों को बल प्रयोग और फायरिंग से शांत किया गया। घायल प्रदर्शनकारियों को चिकित्सा सहायता से वंचित कर दिया गया, जबकि कुछ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इस मामले में अधिकारियों ने मरने वालों की संख्या का खुलासा नहीं किया है।
बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने जून 2018 में 13वां संशोधन पेश किया था, जिसके अनुसार पीओके को कॉरपोरेट टैक्स को छोड़कर कानून बनाने और टैक्स जमा करने सहित वित्तीय और प्रशासनिक मुद्दों को नियंत्रित करने का अधिकार प्राप्त हुआ था। हालांकि, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, मुख्य चुनाव आयुक्त और आपातकालीन प्रावधानों को चुनने की शक्ति देश के प्रधानमंत्री के हाथों में ही है। वहीं, 13वें संशोधन से पहले पाकिस्तान सरकार को हर साल पीओजेके से 500-600 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में मिलते थे, लेकिन संशोधन लागू होने के बाद ये धनराशि सीधे पीओजेके सरकार के पास चली गई।
इतना ही नहीं, पाकिस्तान के लोग लोड शेडिंग, बिजली बिलों पर कर, पीओके के बजटीय अनुदान में भारी कटौती के साथ-साथ क्षेत्र में नौकरियों के लिए स्थानीय लोगों की अनदेखी का भी लगातार विरोध कर रहे हैं। हरजाप ने कहा कि 25 जुलाई की रात से बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस दौरान पुलिस ने पुंछ, रावलकोट और थोरर में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे। साथ ही राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है। इनके खिलाफ हाईवे जाम करने के आरोप में आधारहीन मामले भी दर्ज किए गए हैं।