मणिपुर में हालत ख़राब, शहर छोड़ कर भाग रहे लोग
नई दिल्ली
मणिपुर में दो महिलाओं की बर्बरता का वीडियो आने के बाद से हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। राज्य में कई जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। पुलिस ने बताया कि सुरक्षाकर्मी कई संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी कर इस घटना के बाकी बचे आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि मणिपुर पुलिस ने राज्य के कांगपोकपी जिले में चार मई को दो जनजातीय महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना के संबंध में अभी तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही सुरक्षा बलों ने घाटी व पहाड़ी दोनों जिलों के संवेदनशील और सीमांत क्षेत्रों में छापेमारी की। राज्य में 3 मई से बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं। मई की शुरुआत में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है। साथ ही कई लोग घायल हुए हैं।
धमकी के बाद राज्य छोड़कर भाग रहे लोग
मिजोरम के पूर्व विद्रोहियों के एक संगठन, पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज़ एसोसिएशन (पामरा) ने शुक्रवार को वहां रहने वाले मेइती लोगों को 'अपनी सुरक्षा के लिए' राज्य छोड़ने की धमकी दी। इसके बाद मणिपुरी लोग, दोनों मेइती और पंगाल (मणिपुरी मुसलमान) मिजोरम से भागने लगे हैं। शनिवार शाम को, मिजोरम सरकार के गृह विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि पामरा के प्रतिनिधियों ने खेद व्यक्त किया। साथ ही कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया था। उन्होंने राज्य में शांति बनाए रखने के लिए इसे आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया।
सरकार ने कहा अफवाहों पर ना दें ध्यान
मिजोरम सरकार ने राज्य में रहने वाले मैतेई लोगों से अपील की कि वे न जाएं। साथ ही सरकार ने अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की बात कही है। इसके अलावाबढ़ते तनाव के बीच लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दिया। लेंगपुई हवाई अड्डे के सूत्रों के अनुसार, शनिवार को 65 लोगों ने आइजोल से इम्फाल के लिए इंडिगो एटीआर उड़ान भरी। उनमें से अधिकांश केंद्रीय संस्थानों जैसे पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन महाविद्यालय, क्षेत्रीय अर्ध-चिकित्सा और नर्सिंग विज्ञान संस्थान, मिजोरम विश्वविद्यालय और जोरम मेडिकल कॉलेज से हैं।
अलग-अलग इलाकों में 126 नाके और जांच चौकियां
मणिपुर पुलिस ने ट्वीट में कहा कि पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में कुल 126 नाके और जांच चौकियां बनाई गई है। हिंसा के संबंध में पुलिस ने 413 लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर जरूरी सामान की आवाजाही भी सुनिश्चित की गई है। पुलिस के मुताबिक एनएच-37 पर आवश्यक वस्तुओं के साथ 749 वाहनों की और एनएच-2 पर 174 वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित की गई। पुलिस ने बताया कि सभी संवेदनशील जगहों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। संवेदनशील मार्गों पर वाहनों की मुक्त व सुरक्षित आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा दस्ते तैनात किए गए हैं।
हिंसा के बाद आइजोल जाने की तैयारी
लोगों के घरों को आग लगाए जाने और हिंसा के बीच रिम्स, इम्फाल और अन्य संस्थानों के मिजो छात्र इम्फाल से आइजोल जाने की योजना बना रहे हैं। मणिपुर में लगभग 200 मिजो छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनमें से सभी को 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के मद्देनजर निकाला गया था। हालांकि, कुछ लोग, जरूरी कामों को पूरा करने के लिए इम्फाल लौट आए। मिजोरम में अधिकांश मैतेई असम से हैं। सूत्रों ने कहा कि मिजोरम में रहने वाले मणिपुरियों ने शनिवार सुबह एनएच 306 के माध्यम से असम की बराक घाटी के क्षेत्रों के लिए राज्य छोड़ना शुरू कर दिया है। यह रास्ता आइजोल को सिलचर से जोड़ता है।
असम से शरण देने का आग्रह
असम में मैतेई निकायों के 15 संस्थाओं के मुख्य संगठन सेव मणिपुरी के पदाधिकारी नंदा बाबू सिंह ने कहा कि हमें समझ रहे हैं कि आइजोल और मिजोरम के अन्य हिस्सों में रह रहे मेइतेई और पंगाल (मणिपुरी मुसलमान) डर के मारे राज्य छोड़ने लगे हैं। उनमें से कई पहले ही असम के कछार जिले में पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमने असम सरकार और विशेष रूप से कछार जिला प्रशासन से उनकी शरण की व्यवस्था करने का आग्रह किया है। उन्होंने शनिवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हालांकि उन्होंने असम सरकार से मिजोरम के मणिपुरी समुदाय के भागने वाले सदस्यों की देखभाल करने का आग्रह किया है। इसके बावजूद बराक घाटी में मैतेई लोगों को आश्रय देने करने के लिए आगे आए हैं।