न्यूरोसर्जन मनीष रावत ने मरीजों से वसूले करोड़ों रुपये, CBI का खुलासा
नई दिल्ली
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने रिश्वत लेने के मामले में मार्च में गिरफ्तार किए गए सफदरजंग अस्पताल के न्यूरोसर्जन मनीष रावत के खिलाफ कथित तौर पर 2.40 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप में एक नयी प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बताया कि रावत की पत्नी खुशबू रावत को भी मामले से संबंधित प्राथमिकी में नामजद किया गया है।
उन्होंने बताया कि मरीज़ों को शीघ्र सर्जरी की तारीख देने के बदले जंगपुरा की एक दुकान से ऊंची कीमतों पर सर्जिकल उपकरण खरीदने के लिए मजबूर करने के आरोप में मार्च में डॉक्टर रावत और उनके चार साथियों को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि रावत ने मरीजों को उपकरणों की वास्तविक कीमत से कई गुना ज्यादा दाम चुकाने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि दुकान मालिक ने ऊंची कीमत वसूलने से हुए मुनाफे का एक हिस्सा आरोपी डॉक्टर को भी दिया।
जांच में खुलासा हुआ है कि रावत ने अपने मरीजों को 30,000 रुपये से लेकर 1.15 लाख रुपये तक की रिश्वत एक बिचौलिए के बैंक खाते में जमा करने का निर्देश दिया था। जांच एजेंसी को तलाशी के दौरान एक डायरी के कुछ अंश भी मिले, जो रावत द्वारा अपने साथियों और सर्जिकल उपकरण की दुकान के मालिक के साथ मिलकर चलाए जा रहे रैकेट पर प्रकाश डालते हैं। इसके अलावा सीबीआई को एक लॉकर में 69 लाख रुपये के आभूषण भी मिले थे।
जांच में पता चला है कि रावत दंपत्ति के पास 3.39 करोड़ रुपये थे और उनका खर्च 1.16 करोड़ रुपये था। शुक्रवार को दर्ज की गई सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है, “उन्होंने 4.63 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जिसमें नोएडा (उत्तर प्रदेश) और हलद्वानी (उत्तराखंड) में 3.47 करोड़ रुपये की पांच अचल संपत्तियां, उन कंपनियों/फर्मों में लगभग 48 लाख रुपये का निवेश, जिसमें खुशबू रावत निदेशक/साझेदार थीं और बीमा पॉलिसियों में 17.5 लाख रुपये का निवेश शामिल है।”
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि रावत ने अपने और पत्नी के नाम पर 2.40 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जो दंपति की आय के ज्ञात स्रोतों से 70.85 प्रतिशत अधिक है। सीबीआई ने कहा कि डॉ. रावत मरीजों को दीपक खट्टर के स्वामित्व वाली कनिष्क सर्जरी से सर्जरी के लिए उपकरण खरीदने की सलाह देते थे और मरीजों को उन्हें बहुत ऊंचे दामों पर बेचते थे, क्योंकि डॉक्टर इससे अपना पैसा कमाते थे।
जांच एजेंसी ने कहा कि डॉ. रावत के निर्देश पर अवनेश पटेल मरीजों के परिजनों से संपर्क करते थे और उनसे कहते थे कि अगर वे पैसे देंगे तो उन्हें डॉ. रावत की अप्वाइंटमेंट या सर्जरी के लिए पहले की तारीख दिला देंगे। अवनेश मरीजों से मिले पैसे को दीपक खट्टर के कर्मचारी मनीष शर्मा और कुलदीप को देता था या उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर देता था। सीबीआई ने कहा कि हाल ही में तीन मरीजों से 15000, 20000 और 30,000 रुपये इसी एवज में वसूले गए थे।