निराश्रित गौ-वंश के प्रबंधन के लिये कलेक्टर्स को निर्देश जारी
भोपाल
प्रदेश के राजमार्गों और सड़कों पर मौजूद निराश्रित गौ-वंश के प्रबंधन के संबंध में सभी कलेक्टर्स को दिशा-निर्देश जारी किये हैं। निर्देश में कहा गया है कि निराश्रित गौ-वंश की वजह से किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान और दुर्घटनाओं से जन-धन एवं पशुधन की हानि की रोकथाम और गौ-वंश के संरक्षण के लिये व्यवस्थापन कार्य किये जाये।
निकटतम गौशालाओं में निराश्रित गौ-वंश पहुँचाएँ
प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी गुलशन बामरा द्वारा जारी इन निर्देशों में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में निराश्रित गौ-वंश को ग्राम पंचायतें अपने संसाधन अथवा स्थानीय परिवहन व्यवस्था से निकटतम गौ-शालाओं में पहुँचाये। नगरीय क्षेत्रों में हायड्रोलिक/स्थानीय वाहन की व्यवस्था, नगर निगम, नगरीय निकाय या जिला माइनिंग फंड आदि में उपलब्ध राशि से की जा सकती है। राजमार्गों पर घूमने वाले निराश्रित गौ-वंश की राजमार्ग संधारण संस्था के पेट्रोलिंग वाहन से सतत निगरानी की जाये और संस्था के या स्थानीय वाहन से निकटतम गौ-शालाओं या गोठानों तक पहुँचाएँ। गौ-शालाओं में पहुँचाए गए अतिरिक्त निराश्रित गौ-वंश के लिये चारा-भूसा आहार राशि मध्यप्रदेश गौ-संवर्धन बोर्ड द्वारा जिला गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों द्वारा 20 रूपये प्रति गौ-वंश, प्रति दिवस के मान से उपलब्ध करवाई जाएगी।
गौ-शाला विहीन गाँवों में ग्राम स्तरीय गोठान की व्यवस्था होगी
कलेक्टर्स से कहा गया है कि जहाँ गौ-शाला नहीं है, निराश्रित गौ-वंश को पहुँचाने के लिये अस्थाई गौ-शाला/गोठान की व्यवस्था करें। ग्राम स्तरीय गोठान में 100 गौ-वंश के लिये लगभग एक एकड़ भूमि की व्यवस्था करें। गोठान ऐसी जगह बनाएँ, जहाँ पानी का भराव न हो, वन्य भूमि/चराई के लिये 10 एकड़ भूमि गोठान के नजदीक उपलब्ध हो, पेयजल के लिये पास में नदी-तालाब आदि हो। गोठान भूमि की यथासंभव फेंसिंग करवाएँ। गोठानों के लिये गौसंवर्धन बोर्ड द्वारा 20 रूपये प्रति गौ-वंश, प्रति दिवस के मान से राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। गोठानों का संचालन स्थानीय निकायों, चयनित सेवाभावी गैर शासकीय संगठनों या स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा सकता है।
जिला स्तरीय गोठान की भी व्यवस्था होगी
प्रत्येक जिले में 1000 गौ-वंश की क्षमता वाले जिला स्तरीय गोठान की भी व्यवस्था करने के निर्देश दिेये गये हैं। लगभग 10 एकड़ पर बनने वाले यह गोठान भी ऐसी जगह बनेंगे, जहाँ पानी का भराव न हो, चराई के लिये 50 से 100 एकड़ भूमि गोठान के नजदीक उपलब्ध हो, पेयजल के लिये नजदीक में तालाब-नदी आदि हों, गोठान भूमि की यथासंभव स्थाई या अस्थाई फेंसिंग करवाई जाएगी। कलेक्टर्स से कहा गया है कि गोठान के निर्माण में मनरेगा या उपयुक्त मद में अप्रारंभ गौ-शालाओं की स्वीकृति को आवश्यकतानुसार निरस्त कर "जिला स्तरीय गोठान" के कार्य स्वीकृत किये जा सकते हैं। गौ-संवर्धन बोर्ड द्वारा गोठानों के गौ-वंश के लिये 20 रूपये प्रति गौ-वंश, प्रति दिवस के मान से चारे-भूसे की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। गोठानों का संचालन जिला गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों द्वारा, चयनित स्थानीय निकायों, सेवाभावी गैर शासकीय संगठनों या स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जाएगा।