रामसर साइट साख्य सागर माधव राष्ट्रीय पार्क
भोपाल
मध्यप्रदेश में 4 रामसर साइट हैं। भोपाल की भोज वेटलेण्ड, शिवपुरी की साख्य सागर, इंदौर की सिरपुर और यशवंत सागर। रामसर साइट घोषित होने से इनका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व और संरक्षण बढ़ जाता है।
साख्य सागर झील शिवपुरी जिले के माधव राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। झील को चांदपाठा के नाम से भी जाना जाता है। रामसर कन्वेंशन द्वारा जुलाई 2022 में देश के पाँच वेटलेंडस को रामसर साइट का दर्जा दिया गया। उसमें मध्यप्रदेश की यह झील भी शामिल है। भोज वेटलेंड के बाद इसे प्रदेश की दूसरी रामसर साइट होने का गौरव प्राप्त है।
साख्य सागर झील का निर्माण ग्वालियर राज्य के तत्कालीन महाराजा सिंधिया द्वारा 19वीं शताब्दी में मनियर नदी पर बाँध बनाकर किया गया था। झील निर्माण का मुख्य उद्देश्य सिंचाई, मछली पालन, मनोरंजन आदि था। इसे माधव राष्ट्रीय उद्यान के रूप में वर्ष 1956 में 167 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल के साथ अधिसूचित किया गया था। वर्ष 1959 में ग्वालियर के महाराजा माधव राव सिंधिया के नाम पर इसका नाम बदलकर माधव राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
साख्य सागर झील प्रदेश के महत्वपूर्ण जलीय प्रणालियों में से एक है, जो जैव विविधता से समृद्ध है। मनियर नदी के अलावा कई छोटी-बड़ी नदियाँ एवं नाले इस झील में आकर मिलते हैं। झील के आस-पास माधव राष्ट्रीय उद्यान के पहाड़ और घने जंगल हैं।
साख्य सागर स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों का आवास स्थल है। हर साल यहाँ गूस, पोचार्ड, पिंटेल, मल्लार्ड, शेल डक, गडवाल और शोर बर्ड्स आदि प्रवासीयों पक्षी आते हैं। स्थानीय पक्षियों में रेड-बॉटल्ड, लैपविंग, लार्ज पाइड वैंगटेल, इंडियन पोंड हेरॉन, कॉर्मोरेंट, पेंटेड स्टाक, व्हाइट आइबिस, पर्पल सनबर्ड और व्हाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर है, जो आसानी से देखने को मिलते है। राष्ट्रीय उद्यान के उभयचरों के लिये यह उपयुक्त स्थल है। यह विभिन्न प्रकार के सरीसर्पो का निवास स्थान है यहां मगरमच्छ, अजगर और मॉनिटर लिजार्ड पाई जाती है। झील माधव राष्ट्रीय पार्क के आस-पास की जैव विविधता को बनाए रखती है। राष्ट्रीय उद्यान के अंदर होने के कारण यह झील चारों ओर हरियाली से घिरी हुई है और पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।