सारा गेम शरद पवार का ही था? जयंत पाटिल भी बन सकते हैं शिंदे सरकार के मंत्री; क्यों लग रहे कयास
नई दिल्ली
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी NCP भले ही टूट गई, लेकिन बिखरी नजर नहीं आ रही। इसके ताजा संकेत उपमुख्यमंत्री अजित पवार की तरफ से हुए फंड वितरण से भी मिलते हैं, जहां दिग्गज शरद पवार वाले गुट का भी खास ध्यान रखा गया। इसी बीच अटकलें ये भी हैं कि प्रफुल्ल पटेल के बाद सीनियर पवार के एक और बड़े वफादार जयंत पाटिल 'दादा' के साथ आ सकते हैं। खास बात है कि एनसीपी के इस पूरे सियासी खेल में पाटिल अपने पद पर काबिज हैं।
क्या दल बदलेंगे जयंत पाटिल?
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि जयंत पाटिल भी भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना-एनसीपी (अजित गुट) की सरकार में मंत्री बन सकते हैं। हालांकि, उन्होंने आधिकारिक तौर पर अब तक कुछ नहीं कहा है। अटकले हैं कि पाटिल सिंचाई मंत्रालय चाहते हैं। अब अगर ऐसा होता है, तो शरद पवार के साथ मौजूद बचे विधायक भी अजित गुट में आ जाएंगे। जबकि, रोहित पवार के पाला बदलने की संभावनाएं कम हैं। इधर, एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना नेता संजय शिरसत ने भी दावा किया है कि पाटिल अजित दादा के साथ आ सकते हैं।
फंड वितरण में क्या हुआ?
पूरक बजट में अजित की ओर से एनसीपी को बड़ी हिस्सेदारी मिली है। खबरें हैं कि इस दौरान पूरी एनसीपी के खाते में 580 करोड़ रुपये आए हैं। हालांकि, जयंत ज्यादा फंड मिलने की बात से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है, 'इसका मतलब यह नहीं है कि जो आवंटित किया गया है, उसे मंजूरी मिल जाएगी। साथ ही यह एक लंबी प्रक्रिया है।' उन्होंने सरकार में शामिल होने के फैसले को पार्टी अध्यक्ष पर छोड़ा है।
शरद पवार के इन नेताओं को मिला बड़ा हिस्सा
विधायक राजेश टोपे को 293 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वहीं, रोहित पवार को 210 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। खास बात है कि इस दौरान अजित की ओर से विधायक जितेंद्र अव्हाड को कुछ भी नहीं दिया गया।
क्या शरद पवार ने ही साधा पूरा गेम?
पार्टी में टूट के बाद से ही सीनियर पवार और उनकी कप्तानी वाली टीम लगातार अजित और पार्टी छोड़ने वालों को घेर रही है। लेकिन कयास हैं कि इस पूरे गेम में शरद पवार की भी बड़ी भूमिका हो सकती है। हाल ही में अजित गुट और सीनियर पवार के बीच तीन बार बैक-टू-बैक मीटिंग्स हुईं। इन बैठकों में क्या हुआ, यह अब तक साफ नहीं है। हालांकि, खबरें आईं कि महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए एनसीपी नेता पवार से माफी मांगते रहे, लेकिन वरिष्ठ की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। एनसीपी के दूसरे गुट ने आरोप लगाए कि शरद पवार की लोकप्रियता से डर कर नेता अपनी गलत मान रहे हैं। खास बात है कि अजित अचानक ही चाचा से मिलने पहुंच गए थे।
जब गले मिले
सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा में एक खास नजारा हुआ, जहां अजित कैंप के नेता सुनील तटकरे और जयंत पाटिल के बीच मुलाकात हुई। इतना ही नहीं दोनों गले मिले और कुछ देर बात भी की। हालांकि, दोनों के बीच क्या बात हुई अब तक यह साफ नहीं है।
अपने पद पर कायम जयंत पाटिल
एनसीपी में टूट के साथ ही अजित ने खुद को एनसीपी का अध्यक्ष घोषित कर दिया था। जबकि, एनसीपी के शीर्ष पद पर खुद शरद पवार थे। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को भेजे गए पत्र में भी अजित को अध्यक्ष के तौर पर दिखा गया। इससे उलट महाराष्ट्र एनसीपी के प्रमुख जयंत पाटिल अपने पद पर काबिज रहे। इस दौरान वह शरद पवार कैंप के समर्थन में बात करते रहे।
पाटिल को हटाया, तो पवार ने दिया जवाब
एनसीपी में टूट के तुरंत बाद ही महाराष्ट्र अध्यक्ष पद से जयंत पाटिल को हटाने का ऐलान कर दिया गया। अजित गुट की ओर से सुनील तटकरे को यह जिम्मेदारी दी गई। इसके जवाब में शरद पवार की ओर से पटेल और तटकरे की पार्टी सदस्यता छीन ली। साथ ही उनके खिलाफ एक्शन की भी मांग कर दी।
सुप्रिया सुले को सब पता था?
अप्रैल में ही सांसद सुप्रिया सुले ने दावा कर दिया था कि नई दिल्ली और महाराष्ट्र में 15 दिनों में दो बड़े सियासी भूकंप आएंगे। उन्होंने साफ नहीं किया था कि इशारा किस ओर कर रही हैं, लेकिन पहला भूचाल 13वें दिन ही महसूस कर लिया गया, जब सीनियर पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर दिया। इसके कुछ समय बाद जून में सीनियर पवार ने एनसीपी के दो कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए, जहां प्रफुल्ल पटेल और बेटी सुप्रिया को जिम्मेदारी दी गई।