November 27, 2024

पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा को कोयला घोटाले में हुई 4 साल की सजा

0

मुंबई
कोयला घोटाला मामले में दिल्ली की विशेष अदालत ने पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा को चार साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा उनके बेटे देवेंद्र दर्डा को भी सजा सुनाई गई है। छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों के आवंटन में अनियमितता के मामले में उनके बेटे देवेंद्र दर्डा और यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज कुमार जायसवाल को भी चार साल जेल की सजा सुनाई गई है।

इसी मामले में अदालत ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, दो वरिष्ठ लोक सेवकों केएस क्रोफा और केसी सामरिया को तीन साल जेल की सजा सुनाई। अदालत ने विजय दर्डा और अन्य को धारा 120बी, 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे देवेंद्र दर्डा पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मनोज कुमार जायसवाल पर भी 15 लाख रुपये का जुमार्ना लगाया गया है। पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता को 3 साल की सजा के साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस मामले में सीबीआई ने अदालत से दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी।

कोर्ट ने विजय दर्डा और अन्य दोषियों पर जुर्माना भी लगाया

राउज एवेन्यु कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे देवेंद्र दर्डा पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. मनोज कुमार जयसवाल पर भी 15 लाख रुपये का जुमार्ना लगाया गया है. 

पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता को 3 साल की सजा के अलावा 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सीबीआई ने मामले में दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी.

इन धाराओं में कोर्ट ने आरोपियों को माना था दोषी

इससे पहले 13 जुलाई को कोर्ट ने विजय दर्डा और पूर्व कोयला सचिव समेत पांच अन्य आरोपियों को मामले में दोषी ठहराया था. कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपियों को दोषी ठहराया था. 

पूर्व PM को लिखे पत्र में तथ्यों को गलत तरीके से किया गया था पेश

सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी लेकिन 2014 में कोर्ट ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और निर्देश दिया था कि जांच एजेंसी की ओर से नए सिरे से जांच की जाए.

अदालत ने कहा था कि दर्डा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (जिनके पास कोयला विभाग था) को लिखे पत्रों में तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया था.

उन्होंने जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के लिए छत्तीसगढ़ में फतेहपुर (पूर्व) कोयला ब्लॉक को सुरक्षित करने के लिए ऐसा किया था. 35वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने जेएलडी यवतमाल एनर्जी को कोयला ब्लॉक आवंटित किया था.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *