November 25, 2024

पंडित जी पर मलमास की मार, सावन की अंतिम दो सोमवारी का इंतजार, 75 फीसदी गिरा मेला का बाजार

0

पटना
मलमास (अधिकमास) आते ही बिहार के मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या काफी घट गयी है। ऐसे में पंडितों की कमाई भी बुरी तरह प्रभावित हो गयी है। पंडित अब सावन की अंतिम दो यानी सातवीं व आठवीं सोमवारी का इंतजार कर रहे हैं। इस बार सावन में आठ सोमवारी के कारण पंडितों को उम्मीद थी कि उनकी कमाई अच्छी होगी। पंडित आनंद झा ने बताया कि मलमास को लेकर लोगों में अभी भी भ्रांतियां हैं। इस कारण पूजा-पाठ करने से भी लोग परहेज करते हैं। जबकि अधिकमास होने के कारण लोगों को अधिक पूजा-पाठ करना चाहिए। इस दौरान दीप दान का अलग महत्व है। साथ ही लोगों को कथा सुननी चाहिए।

उन्होंने बताया कि तीसरी सोमवारी से छठी सोमवारी तक मलमास है। इस कारण अब पंडितों की कमाई कम हो गयी है। लोग कम संख्या में मंदिर पहुंच रहे हैं। साथ ही सत्यनारायण भगवान की कथा कराने भी कम बुला रहे हैं। लोगों के द्वारा वाहन व गृह प्रवेश भी अभी के समय में नहीं हो रहा है। इसका असर आर्थिक रूप पर पड़ा है। वहीं जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि मलमास में शादी-विवाह, मुंडन, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश नहीं होता है। ऐसे में पंडितों की कमाई का जरिया सावन माह था। इसमें अधिकमास पड़ने के कारण लोग पूजा-पाठ भी कम कर रहे हैं।

फूलों के कारोबार में 75 फीसदी की गिरावट
मलमास आते ही फूलों का कारोबार घट गया है। आनंद चिकित्सालय रोड स्थित फूल कारोबारी गणेश मालाकार ने बताया कि मलमास में मंदिरों में सजावट कम हो गयी है। इसके साथ लोगों का पूजा-पाठ कम होने से फूल का कारोबार 75 प्रतिशत घट गया है। अब अंतिम दो सोमवारी को ही बिक्री होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि कई फूल विक्रेता आठ सोमवारी को लेकर कोलकाता में फूलों की एडवांस बुकिंग की थी।

18 जुलाई से 16 अगस्त तक है मलमास
संकट मोचन दरबार के पंडित चंद्रशेखर झा ने बताया कि इस साल सावन माह चार जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त का चलेगा। कुल मिलाकर सावन के माह 59 दिन का होगा। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहेगा। इसके मालमास व पुरुषोत्तम माह भी कहा जाता है। दरअसल, वैदिक पंचांग की गणना सौरमास और चंद्रमास के आधार पर होती है। एक चंद्रमास 354 दिनों का जबकि एक सौरमास 365 दिनों का होता है। इस तरह से इन दोनों में 11 दिन का अंतर आ जाता है और तीसरे वर्ष 33 दिनों का अतिरिक्त एक माह बन जाता है। इस 33 दिनों के समायोजन को ही अधिकमास कहा जाता है। उन्होंने बताया कि 2023 में अधिकमास के दिनों का समायोजन सावन के माह में होगा। इस कारण से सावन दो माह का होगा।

28 अगस्त को अंतिम सोमवारी
बाबा कुपेशवरनाथ मंदिर के पंडित अक्षय झा ने बताया कि सावन की सोमवारी 28 अगस्त को पड़ेगी। अब चौथी सोमवारी 31 जुलाई, पांचवीं सोमवारी सात अगस्त, छठी सोमवारी 14 अगस्त, सातवीं सोमवारी 21 अगस्त व अंतिम तथा आठवीं सोमवारी 28 अगस्त को होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *