HC ने गोहत्या पर केंद्र को निर्देश देने से किया इनकार
नईदिल्ली
गोहत्या पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने ठुकराते हुए कहा कि इस पर विधायिका ही पूर्ण प्रतिबंध लगा सकती है। ऐसे में याचिकाकर्ता को सक्षम विधायिका से संपर्क करना होगा।
विधायिका से संपर्क करने की दी स्वतंत्रता
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति साैरभ बनर्जी की पीठ ने कहा कि कानून के तहत दिल्ली में पहले से ही गोहत्या पर प्रतिबंध है। उक्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता बृषभान वर्मा को सक्षम विधायिका से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी।
गोकशी पर पूर्ण प्रतिबंध की हुई थी मांग
अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय मेंं कहा है कि केवल एक सक्षम विधायिका ही गाय और उसकी संतान के वध पर रोक के संबंध में उत्पन्न होने वाले मामलों पर निर्णय ले सकती है। याचिकाकर्ता ने बिना किसी देरी के गाय के साथ ही बूढ़े-बेकार बैल और बूढ़ी भैंस के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी।
वहीं, केंद्र की तरफ से पेश हुई अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश यानी अरुणाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड व लक्ष्यद्वीप को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने गाय के वध को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में दिल्ली कृषि मवेशी संरक्षण अधिनियम-1994 के तहत गायों के वध पर प्रतिबंध पहले से ही लागू है।