November 24, 2024

मासूमों की महत्वपूर्ण जरुरत ह्यूमन मिल्क, लेकिन मदर मिल्क बैंक नहीं हो पाए शुरू

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भोपाल

कुछ दिनों पहले जेपी अस्पताल का मदर मिल्क बैंक काटजू अस्पताल में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही थी। लेकिन अभी तक यह प्रोसेस सक्सेस नहीं हो सकी। इसके बाद  इसी साल शहर के सबसे बड़े हमीदिया और एम्स में भी इसकी शुरूआत करने की बात कही जा रही थी। यहां भी इसकी शुरूआत न हो सकी। दरअसल मदर मिल्क बैंक में मां के दूध को छह माह तक ताजा रखा जा सकेगा। इन मिल्क बैंकों में माताएं अपना दूध भी दान कर सक ती हैं।

यहां थी तैयारी
गौरतलब है कि भोपाल के एम्स अस्पताल में जल्द ही ह्यूमन मिल्क बैंक की शुरूआत करने की योजना तैयार की गई थी।  राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भोपाल व इंदौर में ह्यूमन मिल्क बैंक खोलने की योजना बनी थी। लेकिन जेपी में ही इसकी शुरूआत हो सकी। मिल्क बैंक में पाश्चराइजेशन यूनिट, रफ्रिजरेटर, डीप फ्रीज, आरो प्लांट जैसे संसाधनों के जरिए छह महीने तक मां का दूध को सुरक्षित रहेगा।

क्यों है जरूरत
भारत में एक साल में पैदा हुए 2.7 करोड़ बच्चों में से 75 लाख का जन्म के समय कम वजन होता है। 35 लाख बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं। नीकू वार्ड में लगभग 30-50 प्रतिशत शिशुओं और विशेष नवजात देखभाल यूनिट में 10-15 प्रतिशत शिशुओं को दान में मिलने वाले मानव दूध की आवश्यकता होती है। समय से पहले जन्मे बच्चे को प्रतिदिन 30 मिलीलीटर दूध की आवश्यकता होती है जबकि एक स्वस्थ बच्चे को 150 मिलीलीटर तक दूध की आवश्यकता होती है।

क्या है मदर मिल्क बैंक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मानव दूध बैंक उन शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण है। मानव दूध शिशु मां के दूध के बाद सबसे बेहतर आहार है। मां के दूध में शिशुओं के लिए जरूरी पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं। शिशुओं को कम से कम छह महीने तक स्तनपान कराया जाना चाहिए।

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