यूपी में यूरिया की खपत में खीरी टॉप तो अलीगढ़ दूसरे पायदान पर
अलीगढ़
यूपी के किसानों का यूरिया के प्रति लगाव कम नहीं हो रहा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश में खरीफ सीजन में यूरिया की खपत में लखीमपुर खीरी टॉप तो अलीगढ़ दूसरे पायदान पर आया है। कृषि विभाग ने एक अप्रैल से 31 जुलाई तक के यूरिया की खपत के आंकड़े जारी किए हैं। जिसमें टॉप-10 जिलों में पश्चिमी यूपी व पूर्वांचल के जिले शामिल हैं।
कृषि विभाग के अनुसार बेहतर उत्पादन के लालच में किसान यूरिया खेतों में खपा रहे हैं। मानकों की अनदेखी करते हुए अंधाधुंध इस्तेमाल से यूरिया की खपत हर साल बढ़ रही है। पिछले साल भी लक्ष्य से अधिक यूरिया खरीदा गया था। खरीफ की फसलों में किसान अधिक मात्रा में यूरिया का उपयोग करते हैं। रबी सीजन में इतना यूरिया नहीं खपाया जाता, लेकिन इस सीजन में जरूरत से ज्यादा यूरिया खेतों में लगाया गया है। प्रदेश के 25 जिलों 96 हजार मीट्रिक टन यूरिया 2022 खरीफ सीजन की तुलना में इस साल खपाया गया। यह स्थिति तब है जब कृषि विभाग की ओर से फसलों के आधार पर यूरिया के मानक तय कर दिए हैं। समय-समय पर इसका प्रचार भी कराया जा रहा है।
अधिक यूरिया की खपत से होने वाले नुकसान
उप कृषि निदेशक (शोध) डॉ. वीके सचान ने बताया कि रसायनों का अत्यधिक प्रयोग करने से भूमि खुश्क होने लगती है और सामान्य से अधिक पानी की जरूरत पड़ती है। उपजाऊ भूमि के बंजर होने का यह भी एक लक्षण है। किसानों को रसायनों का उपयोग निश्चित सीमा तक करने के लिए जागरूक होना चाहिए।
यूरिया का अधिक प्रयोग मृदा पर डालता है विपरीत प्रभाव
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक फसल उत्पादन के लिए कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसमें तीन प्रमुख है, यूरिया, फॉस्फोरस व पोटाश। किसान खेतों में यूरिया, डीएपी और पोटाश का अधिक प्रयोग करते है। यूरिया का अधिक प्रयोग खेतों में मृदा पर विपरीत प्रयोग डालता है। खेतों में फसल अवशेष को जलाने से जीवाश्म कार्बन की कमी हो रही है। इसमें फसल अल्प आयु में ही अधिक वृद्धि हो जाती है। यूरिया का वैज्ञानिक विधि से संतुलित मात्रा में प्रयोग करने के साथ ही देसी गोबर खाद का भी प्रयोग करना चाहिए। खेतों में फसल अवशेषों के जलाने के बजाय सड़ाकर खेतों में डालना चाहिए।
किस फसल के लिए कितना चाहिए यूरिया
-गेहूं व धान-236 किलो प्रति हेक्टेयर
-मक्का-211 किलो प्रति हेक्टेयर
-गन्ना-325 किलो प्रति हेक्टेयर