दिल्ली की अदालत ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को दी बड़ी राहत
नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान पुल बंगश में हुई हत्याओं से संबंधित मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर का जमानती बांड शनिवार को स्वीकार कर लिया। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने कहा कि आरोपी को पहले ही एक सत्र अदालत से अग्रिम जमानत मिल चुकी है।
पत्नी जेनिफर टाइटर बनीं जमानतदार
अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को टाइटलर को आरोप पत्र की एक प्रति प्रदान करने का निर्देश भी दिया। कांग्रेस नेता टाइटलर कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश हुए। उनकी पत्नी जेनिफर टाइटर उनकी जमानतदार बनीं। अदालत ने जेनिफर की पहचान और वित्तीय स्थिति का सत्यापन किया। साथ ही यह देखने के बाद कि वह आर्थिक रूप से सक्षम थीं, उन्हें जमानतदार के रूप में स्वीकार कर लिया। मजिस्ट्रेट ने कहा, "जमानत बांड प्रस्तुत किया गया है। जमानत आदेश में लगाई गई शर्तों के अधीन इसे स्वीकार किया जाता है।" मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान पुल बंगश क्षेत्र में हुए हत्याकांड से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को शुक्रवार को अग्रिम जमानत दे दी। विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने टाइटलर पर कुछ शर्तें भी लगाईं, जिनमें यह भी शामिल है कि वह मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे या अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे। न्यायाधीश ने एक लाख रुपये के निजी जमानती बॉण्ड और इतनी ही राशि के मुचलके पर उन्हें राहत दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के एक दिन बाद एक नवंबर, 1984 को यहां पुल बंगश क्षेत्र में तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी और एक गुरुद्वारे में आग लगा दी गई थी।
शहर की एक अदालत ने 26 जुलाई को मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर 20 मई के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद टाइटलर को पांच अगस्त को तलब किया था। राहत की मांग करते हुए टाइटलर के वकील ने अदालत से कहा था कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी की आशंका है और उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। टाइटलर के वकील मनु शर्मा ने अदालत से कहा, ‘‘जांच एजेंसी द्वारा अपराध के सही समय का पता नहीं लगाया गया है और मामले में कई ‘क्लोजर रिपोर्ट' दाखिल की गईं… दिल्ली पुलिस ने दो बार और सीबीआई ने एक बार कहा था कि टाइटलर के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला।'' शर्मा ने कहा कि सीबीआई ने मामले में ‘क्लोजर रिपोर्ट' दाखिल करने के बाद लोकसभा चुनाव से ठीक 11 महीने पहले कुछ नए गवाहों के बयानों के आधार पर टाइटलर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया।
25 साल बाद शामिल किए गए गवाहों पर भरोसा नहीं किया जा सकता
उन्होंने कहा, ‘‘सीबीआई ने मामले में कई बार ‘क्लोजर रिपोर्ट' दाखिल की। सीबीआई ने 2007 और 2014 में आरोपपत्र दाखिल करते हुए क्लीन चिट दे दी थी।'' वकील ने यह भी कहा कि सीबीआई ने पूरी जांच के दौरान टाइटलर को गिरफ्तार नहीं किया। कांग्रेस नेता के वकील ने अदालत से कहा, ‘‘25 साल बाद शामिल किए गए गवाहों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। टाइटलर के भागने का खतरा नहीं है। उनकी उम्र 79 वर्ष है और उन्हें चिकित्सीय समस्याएं हैं।'' सुनवाई के दौरान सीबीआई ने टाइटलर की अर्जी का विरोध किया।
भीड़ को ‘उकसाया और भड़काया'
सीबीआई ने कहा, ‘‘गवाह बहुत साहस दिखाते हुए आगे आए हैं और उन्हें प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। नए गवाहों के बयान के अनुसार, प्रथमदृष्टया जगदीश टाइटलर की भूमिका प्रतीत होती है।'' अदालत में दाखिल अपने आरोपपत्र में, सीबीआई ने दावा किया कि टाइटलर ने एक नवंबर, 1984 को आजाद मार्केट में पुल बंगश गुरुद्वारे पर इकट्ठा हुई भीड़ को ‘‘उकसाया और भड़काया'', जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारे में आग लगा दी गई और तीन सिखों- ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरुचरण सिंह की हत्या कर दी गई। सीबीआई ने कहा कि एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा) और धारा 302 (हत्या) समेत अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं।