September 25, 2024

गन्ने के खेत से विश्व चैंपियन तक: ऐसी है 17 साल की अदिति स्वामी की तीरंदाजी की कहानी

0

नई दिल्ली
 वर्ल्ड चैंपियन अदिति स्वामी की कहानी: गणित के टीचर की बेटी, 17 साल की बेटी ने गन्ने के खेत में ट्रेनिंग करने के बाद आज पूरी दुनिया को अपनी प्रतिभा से हैरान कर दिया है। हम बात कर रहे हैं अदिति स्वामी की, जो इस समय भारत का गौरव हैं। अदिति ने वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है। उन्होंने जर्मनी के बर्लिन में हुई प्रतियोगिता में दो-बार की विश्व चैंपियन एंड्रिया बेकेरा को पीछे छोड़कर गोल्ड मेडल हासिल किया।
 

92 साल पुराने, 1931 से शुरू हुए टूर्नामेंट में, भारत को पहला स्वर्ण पदक जीतने वाली अदिती कपाउंड महिला टीम का हिस्सा भी रहीं हैं। अदिति की तीरंदाजी की कहानी समर्पण, अथक मेहनत और हार को मानने से इनकार करने वाले जुनून से भरी है।

लेकिन, अदिति का सपना पूरा करने का सफर कोई आसान नहीं रहा। सतारा की इस लड़की ने गन्ने के खेत में बनी एकेडमी से निकलकर खुद को इतना तराशा है। पिता गोपीचंद, जो मैथ्स के टीचर हैं, उन्हें खेलों से पहले से ही प्यार था, और उन्होंने चाहा कि उनकी बेटी कम से कम किसी एक स्पोर्ट में जरूर ट्राई करे।

बेटी को तीरंदाज बनाने के लिए, परिवार ने गांव को छोड़कर सतारा शहर में आकर बसा लिया और अदिति को पहली ही नजर में जो खेल पसंद आया वह था- आर्चरी। पिता गोपीचंद ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "यही मुख्य कारण था कि हमने गांव को छोड़ा। मुझे लगा कि सतारा में हमारी बेटी को ज्यादा मौके मिलेंगे। जब वो 12 साल की हुई, मैं उसे सतारा के Shahu Stadium में ले आया।"

उसी वक्त से अदिती को तीरंदाजी खेलने का जुनून हुआ। उन्होंने ट्रेनिंग की और बढ़ते कदमों से कुछ समय में अपनी पहचान बना ली। पिता ने आगे बताया कि, अदिति को अभिषेक वर्मा और दीपिका कुमारी जैसी बड़ी तीरंदाजों के वीडियो दिखाने से उसकी रुचि इस खेल में आई। तीरंदाजी में बहुत सटीकता चाहिए होती है, इसलिए उसका ध्यान उसे खेल में बढ़ाने में मददगार साबित हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed