जानिए IPC-CRPC पर 3 नए बिलों से क्या-क्या बदलेगा? मॉब लिंचिंग-नाबालिग से रेप पर मौत की सजा…
नईदिल्ली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. अब अंग्रेजों के समय से चले आ रहे तीनों कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा. शाह ने जिन विधयकों को पेश किया, उनके कानून बनने के साथ ही राजद्रोह खत्म हो जाएगा. इसके अलावा इसमें मॉब लिंचिंग, महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में भी तमाम बदलाव किए गए हैं. आइए जानते हैं कि नए कानून आने के बाद क्या क्या बदलाव होगा?
मॉब लिंचिंग में मौत तक की सजा का प्रावधान
नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में जोड़ा गया है. जब 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के हर सदस्य को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा. इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा.
नाबालिग से रेप में मौत की सजा
अमित शाह ने बताया कि नए कानूनों में हमने महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं के निपटान के लिए ढेर सारे प्रावधान किए हैं. गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है, 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है.
– रेप के कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है जो परिभाषित करता है कि विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है. इसके अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल और सजा
शाह ने बताया कि हमने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, वो है आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल. उन्होंने बताया कि अभी कई केसों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है, वो देश छोड़कर भाग गया. ऐसे में केसों का ट्रायल नहीं चल पा रहा है. अब सेशन कोर्ट के जज नियमों के मुताबिक, जिसे भगोड़ा घोषित करेंगे, उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सजा भी सुनाई जाएगी.
हेट स्पीच पर भी सजा का प्रावधान
नए कानूनों में हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ स्पीच को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है. अगर कोई व्यक्ति हेट स्पीच देता है, तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा कोई धार्मिक आयोजन कर किसी वर्ग, श्रेणी या अन्य धर्म के खिलाफ भड़काऊ स्पीच दी जाती है, तो 5 साल की सजा का प्रावधान होगा.
533 धाराएं खत्म होंगी- अमित शाह
2027 तक सभी कोर्ट ऑनलाइन होंगी. जीरो एफआईआर कहीं से भी रजिस्टर की जा सकती है. अगर किसी को भी गिरफ्तार किया जाता है, तो उसके परिवार को तुरंत सूचित करना होगा. जांच 180 दिन में समाप्त कर ट्रायल के लिए भेजना होगा.
अमित शाह ने बताया कि नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी. 133 नई धारा शामिल की गई हैं. जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है. इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन साक्ष्य, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी.
दिल्ली में हर जगह 7 साल से अधिक सजा वाले केस में FSL जांच को अनिवार्य कर दिया गया है. यौन हिंसा के मामले में पीड़िता का बयान कंपलसरी किया गया है. पीड़ित को सुने बगैर कोई केस वापस नहीं किया जा सकेगा. 3 साल तक की सजा वाले मामले में समरी ट्रायल को लागू किया गया है. मामले का जल्द निपटारा किया जाएगा. चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के अंदर ही फैसला देना होगा. फैसला 7 दिन के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध करना होगा.
- – मौत की सजा वाले को आजीवन में बदलाव हो सकता है, लेकिन दोषी किसी भी तरह छोड़ा नहीं जायेगा. कानून में टेररिज्म की व्याख्या जोड़ी गई है.
- – सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज होता है तो 120 दिनों के केस चलाने की अनुमति देनी जरूरी है.
- – दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश कोर्ट देगा ना कि पुलिस अधिकारी.