September 29, 2024

भारत निर्माण: सात वर्षों बाद सबसे ज्यादा निवेश वर्ष 22-23 में; 982 परियोजनाओं पर शुरू हुआ काम

0

 नई दिल्ली
 पिछले वर्ष मई के महीने में जब आरबीआइ ने बढ़ते महंगाई को थामने के लिए ब्याज दरों को महंगा करने का दौर शुरू हुआ तो कई अर्थविदों ने कहा कि यह देश में निवेश माहौल पर बहुत ही बड़ा कुठाराघात होगा। महंगे कर्ज की वजह से कारपोरेट सेक्टर निवेश करने से पीछे हट जाएगा।

सबसे बेहतर दौर से गुजर रहा निवेश माहौल
एक वर्ष से ज्यादा समय बीत गये और ताजे आंकड़ें बता रहे हैं कि निवेश माहौल पिछले सात-आठ वर्षों के सबसे बेहतर दौर से गुजर रहा है। वर्ष 2022-23 में देश में कुल 982 परियोजनाओं के लिए कुल 3,52,624 करोड़ रुपये का तमाम स्त्रोतों से किया गया है। आरबीआइ के आकलन के मुताबिक,    वर्ष 2014-15 के बाद यह किसी भी एक वर्ष में निवेश योजनाओं को आगे बढ़ाने का सबसे बड़ा मामला है। यह वर्ष 2021-22 में नई परियोजनाओं में जितना निवेश (791 प्रोजेक्ट- निवेश की राशि 1,96,445 करोड़ रुपये) किया गया उससे 79.5 फीसद ज्यादा है।

547 परियोजनाओं के लिए घरेलू स्तर पर उपलब्ध हुआ फंड
किसी भी एक वर्ष में निवेश परियोजनाओं में इतनी बड़ी वृद्धि पिछले दो दशकों में नहीं देखने को मिली है। कुल 982 परियोजनाओं में 547 परियोजनाओं के लिए फंड घरेलू स्तर पर ही बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने उपलब्ध कराये हैं, जबकि 393 परियोजनाओं के लिए फंड का इंतजाम बाहरी स्त्रोतों से किया गया है। शेष 42 परियोजनाओं के लिए पब्लिक आफर से पैसे जुटाए गए हैं। निवेश गतिविधियों के बढ़ने का यह रिकार्ड चालू वित्त वर्ष के दौरान टूट सकता है।

इस बात का संकेत आरबीआइ के आकंलन रिपोर्ट में है जिसे पिछले गुरूवार को प्रकाशित किया गया है। यह कहता है कि भारतीय कंपनियों की क्षमता का इस्तेमाल, कर्ज की मांग में लगातार वृद्धि और कारोबारी समुदाय का बढ़ता भरोसा कुछ ऐसे कारण है जो संकेत देते हैं कि आने वाले समय में भी निवेश की रफ्तार बनी रहेगी।

कारपोरेट कर्ज में 19.2 फीसद की वृद्धि
पिछले एक वर्ष के दौरान कारपोरेट लोन की दरों में औसतन 2.5 फीसद की वृद्धि के बावजूद वर्ष 2023 में अभी तक कारपोरेट कर्ज में 19.2 फीसद की वृद्धि हुई है। साफ है कि कर्ज महंगा होने बढ़ने के बावजूद कारपोरेट जगत मान रहा है कि परियोजनाओं में निवेश करने में ही फायदा है। आरबीआइ का यह भी आकलन है कि वर्ष 2022-23 में जो राशि (2,66,547 करोड़ रुपये) बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने परियोजनाओं के लिए आवंटित की है उसका 35 फीसद तो वर्ष 2023-24 में ही निवेश होगा, जबकि 25 फीसद इसके बाद के वर्ष में।

आरबीआइ के इस अध्ययन में आरबीआइ के साथ ही सेबी के आंकड़ों को आधार बनाया गया है। इसमें सिर्फ उन्हीं परियोजनाओं को शामिल किया गया है जिनकी लागत 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की है और केंद्र या राज्य सरकारों की अधिकांश हिस्सेदारी वाली परियोजनाओं को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

इस तरह से यह निजी सेक्टर के निवेश की दिशा को बता रहा है। इसमें 36.5 फीसद परियोजनाएं सड़क व पुलों के निर्माण को लेकर है, जबकि 20.3 फीसद परियोजनाओं बिजली सेक्टर की हैं और 14.6 फीसद परियोजनाएं धातु क्षेत्र से जुड़ी हैं। इससे पता चलता है कि जो भी निवेश हो रहा है वह लंबी अवधि के लिए परिसंपत्तियों का निर्माण हो रहा है जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए बहुत जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *