September 28, 2024

सीएम शिवराज के खास विधायक रामपाल सिंह को कैबिनेट मंत्री का दर्जा

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भोपाल

मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री और विधायक रामपाल सिंह को विधानसभा चुनाव के 3 महीने पहले कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर बीजेपी सरकार ने रायसेन जिले में समीकरण बदलने की पूरी कोशिश की है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रामपाल सिंह को बधाई देते हुए उनके कार्यकाल को सफल होने की शुभकामनाएं भी दी है. विधानसभा चुनाव को 3 महीना का समय बचा है और एक बार फिर सियासत के समीकरण बदलने के लिए नेताओं को पुरस्कृत करने का काम चल रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दीनदयाल अंत्योदय योजना का पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को दायित्व सौंपा है.

मध्य प्रदेश शासन के आदेश अनुसार पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है. यह आदेश निकलने के बाद सरकार की ओर से एक और आदेश जारी किया गया जिसके माध्यम से पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को कैबिनेट का दर्जा दिया गया है.

कैबिनेट का दर्जा मिलने के बाद रामपाल सिंह को बीजेपी के बड़े नेताओं की बधाइयां मिलना शुरू हो गई. रामपाल सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का काफी करीबी माना जाता है. साल 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई थी. हालांकि चुनाव के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर रामपाल सिंह को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया है.

शिवराज के कट्टर समर्थक है रामपाल सिंह
पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक रामपाल सिंह
का विवादों से काफी गहरा नाता रहा है. बहू की आत्महत्या के बाद पूर्व मंत्री रामपाल सिंह कई दिनों तक सुर्खियों में रहे. हालांकि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कट्टर समर्थकों में गिने जाते हैं. जब भी विपक्ष मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है, तब रामपाल सिंह फ्रंट पर आकर लड़ाई लड़ते हैं. पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को शिवराज सरकार में लोक निर्माण विभाग जैसा महत्वपूर्ण पद भी मिला था.

सिंधिया समर्थकों के मंत्री बनाए जाने के कारण पीछे रह गए रामपाल
साल 2020 में जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी का दामन थामा तो उनके समर्थक मंत्री भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए. जो मंत्री कांग्रेस सरकार में नेतृत्व कर रहे थे उन्हें सबको बीजेपी सरकार में भी मंत्री बना दिया गया. इसी के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाह कर भी रामपाल सिंह को मंत्री नहीं बना पाए थे.

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