महाजनी कुप्रथा को किया खत्म, निराधार हैं जमीन हड़पने के आरोप – CM सोरेन
रांची
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उनके परिवार ने महाजनी कुप्रथा को दूर कराया। आज उसी परिवार पर जमीन हड़पने का आरोप विरोधी दल के लोग लगा रहे हैं। यह विचित्र है। वह यह जरूर कहना चाहेंगे कि महाजनी के खिलाफ हमारी लड़ाई की बदौलत अनगिनत लोगों, आदिवासी-मूलवासी ने अपनी जमीन की रक्षा की है। यदि उनका नाम लेकर कोई अपनी जमीन की रक्षा कर रहा है तो पूरा झारखंड उनका नाम लेकर ऐसा कर ले।
सीएम सोरेन ने सोमवार को एक कार्यकम के दौरान मीडिया के सवाल पर कहा कि उनकी सरकार में हजारों एकड़ जमीन रैयतों – ग्रामीणों को वापस कराई गई है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में संभवत ऐसा पहली बार हुआ जब हजारीबाग में कई एकड़ जमीन ग्रामीणों को वापस की गई। नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अवधि विस्तार को रद्द कर वर्षों से संघर्ष कर रहे ग्रामीणों की जमीन वापस कराई गई। राज्य में ट्रिब्यूनल का गठन हुआ। लोगों के शिकायत के अनुरूप उनकी भूमि वापसी का कार्य किया जा रहा है।
पूर्व की सरकार ने लैंडबैंक बना जमीन की बंदरबांट की
सीएम ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व की सरकार में लैंडबैंक बनाकर यहां की जमीन का बंदरबांट किया गया। यह सर्वविदित है और सरकारी दस्तावेजों में भी दर्ज है। भ्रष्टाचार और घोटाला को लेकर विपक्ष के आरोपों पर कहा कि राजनीतिक रूप से हतोत्साहित होने पर उनका ऐसा व्यवहार देखने को मिल रहा है। ह्यइंडियाह्ण गठबंधन में शामिल दलों को निशाना बनाने के सवाल पर सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार टारगेट कर अपनी सहूलियत की राजनीति करती दिख रही है। लेकिन जनता सब देख रही है और 2024 में अपने फैसले से वाकिफ कराएगी।
1932, सरना धर्म कोड और ओबीसी आरक्षण के लिए हर लड़ाई लड़ेंगे
सीएम सोरेन ने कहा है कि उनकी सरकार ने राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता से नियोजन नीति, सरना धर्म कोड का प्रस्ताव, ओबीसी आरक्षण से संबंधित विधेयक विधानसभा से पारित कराया। इसे कानूनी प्रक्रिया के तहत राज्यपाल और केंद्र सरकार को भेजना होता है। कभी कानूनी अड़चनों से राज्यपाल लौटाते हैं। कभी उनके पास रखा रह जाता है। तो कभी केंद्र सरकार अपनी अलमीरा में रख लेती है। उनका प्रयास है कि राज्यवासियों की मूल भावना को ताकत मिले और हम इसी अनुरूप कार्य करने पर अड़े हैं। उन्होंने कहा कि यह सब करना डबल इंजन की सरकार के लिए आसान था। लेकिन, पिछले 20 वर्षों के दौरान 1932 खतियान, सरना धर्म कोड, ओबीसी, एसटी, एससी के आरक्षण में वृद्धि पर पहल नहीं की गई। वह इस विषय पर विधायी ताकत से आगे बढ़ेंगे और जरूरत पड़ने पर राजनीतिक ताकत से भी मांग तेज करेंगे।