September 27, 2024

इसरो के इन 7 वैज्ञानिकों ने भारत को कराया चंद्रमा का टूर, PM मोदी ने भी की थी तारीफ

0

 नई दिल्ली
भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग करा कर इतिहास रच दिया है। ऐसा करने वाला भारत पहला देश है, जिसने दक्षिणी ध्रुव की सतह को छुआ है। यह कामयाबी इसलिए भी अहम है क्योंकि इसी महीने रूस ने भी चंद्रमा पर अपना मिशन लूना-25 भेजा था, जो क्रैश हो गया। ऐसे में भारत की इस कामयाबी की दुनिया भर में चर्चा हो रही है। नासा से लेकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान तक से बधाई संदेश आ रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी बधाई संदेश भेजा है। इस पूरे मिशन का चेहरा 7 वैज्ञानिक रहे हैं, जिन्होंने चांद पर भारत की कामयाबी के झंडे गाड़े।

इनमें पहला पहला नाम इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ का है, जिनकी खुद पीएम मोदी ने जमकर तारीफ की थी। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद पीएम मोदी ने उनके नाम का जिक्र करते हुए कहा था कि सोमनाथ को तो अर्थ ही चंद्रमा होता है। एस. सोमनाथ को चंद्रयान-3 के अलावा गगनयान और सूर्य मिशन आदित्य-एल-1 जैसे अभियानों को भी गति देने के लिए जाना जाता है। वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के डायरेक्टर भी रह चुके हैं। एस. सोमनाथ ने ही चंद्रयान मिशन की कामयाबी का बुधवार को दुनिया के सामने ऐलान किया था। वह पूरे मिशन का चेहरा बने।

इस अभियान के पीछे चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल को भी क्रेडिट दिया जा रहा है। रेलवे कर्मचारी पिता की संतान वीरामुथुवेल ने ही चंद्रयान 3 के समन्वय का पूरा काम संभाला था। उन्होंने 2019 में इस मिशन की जिम्मेदारी संभाली थी। वीरामुथुवेल ने चंद्रयान-2 मिशन में भी अहम भूमिका निभाई थी। मद्रास आईआईटी से पढ़े वीरामुथुवेल तमिलनाडु के ही रहने वाले हैं। वह तकनीक के अच्छे जानकार हैं। कहा जाता है कि विक्रम लैंडर का डिजाइन उनके द्वारा ही तैयार किया गया था।

के. कल्पना और शंकरन का भी रहा अहम रोल
चंद्रयान मिशन की सफलता में कल्पना के. का भी अहम योगदान है। वह प्रोजेक्ट की डिप्टी डायरेक्टर थीं। चंद्रयान-2 और मंगलयान मिशन में भी उनका अहम रोल रहा है। इसके अलावा सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर एम. शंकरन ने यह तय किया कि चंद्रयान-3 का तापमान संतुलित बना रहे। चंद्रयान-1, मंगलयान और चंद्रयान-2 में भी शंकरन शामिल थे। अब बात करते हैं, चंद्रयान मिशन के डायरेक्टर एस. मोहन कुमार की।  वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। पूरा अभियान सही दिशा में जाए और उसकी पूरी देख-रेख एवं समन्वय का जिम्मा मोहन कुमार ही संभाल रहे थे।  

54 महिला इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने भी लिया हिस्सा
मिशन के संचालन की जिम्मेदारी एस उन्नीकृष्णनन नायर और उनकी टीम के पास थी। वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर हैं। केरल के तिरुअनंतपुरम के रहने वाले नायर ने इस मिशन को आगे बढ़कर लीड किया। उनके नेतृत्व में ही जीएसएलवी-3 आदि को तैयार किया गया है। किसी भी लॉन्च को हरी झंडी लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड देता है। इसके मुखिया ए राजाराजन हैं। वह सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा के डायरेक्टर और वैज्ञानिक हैं। इसरो के मुताबिक इस सफल अभियान में 54 महिला इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने भी हिस्सा लिया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *