BRICS में अरब देशों को प्रवेश, पाकिस्तान को नहीं दी तवज्जो ?
नईदिल्ली
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में संपन्न हुई ब्रिक्स समिट में 6 नए देशों को एंट्री मिली है. 1 जनवरी 2024 से ईरान, अर्जेंटीना, इथियोपिया, इजिप्ट, ईरान, यूएई और सऊदी अरब ब्रिक्स का सदस्य होंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, समिट से पहले 40 से अधिक देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी, जबकि 22 देशों ने औपचारिक रूप से शामिल करने के लिए कहा था.
पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट 'पाकिस्तान टुडे' ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान ने भी ब्रिक्स देशों में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है और दक्षिण अफ्रीका में होने वाली समिट के दौरान पाकिस्तान की इन आकांक्षाओं पर विचार किया जाएगा.
चूंकि, ब्रिक्स देशों में सिर्फ 6 नए देशों को एंट्री मिली है. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ब्रिक्स के विस्तार में पाकिस्तान को नजरअंदाज किया गया. वहीं, पाकिस्तान ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है.
पाकिस्तान ने ब्रिक्स विस्तार पर क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ममता जहरा बलूच ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान ने अभी तक ब्रिक्स में शामिल होने के लिए कोई औपचारिक अनुरोध नहीं किया है. वर्तमान में जो इंटरनेशल डेवलपमेंट हुई है हम उसका अध्ययन करेंगे और भविष्य में ब्रिक्स के साथ जुड़ने पर विचार करेंगे.
विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक समाचार ब्रीफिंग के दौरान प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच से जब पूछा गया, "ब्रिक्स ने संगठन विस्तार करने का फैसला किया है. विस्तार में पाकिस्तान के बेहद करीबी दोस्तों को शामिल किया जा रहा है. क्या पाकिस्तान को नजरअंदाज किया जा रहा है या पाकिस्तान ब्रिक्स का हिस्सा बनना ही नही चाहता था? इसके अलावा ब्रिक्स के विस्तार में पाकिस्तान के बेहद करीबी दोस्त सऊदी अरब को भी शामिल किया जा रहा है. सऊदी अरब उसी संगठन में हमारे प्रतिद्वंदी (भारत) के साथ बैठेंगे और बातचीत करेंगे. इस पर कोई टिप्पणी?
इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स संबंधित हुई लेटेस्ट डेवलपमेंट पर हमारी नजर है. हमने समावेशी बहुपक्षवाद के प्रति ब्रिक्स के खुलेपन को भी नोटिस किया है. पाकिस्तान पहले भी कई बार कह चुका है कि वह समावेशी बहुपक्षवाद का प्रबल समर्थक है. पाकिस्तान ने ब्रिक्स में शामिल होने के लिए कोई औपचारिक अनुरोध नहीं किया है. हम लेटेस्ट डेवलपमेंट का अध्ययन करेंगे और भविष्य में ब्रिक्स के साथ जुड़ने पर निर्णय लेंगे. "
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से जब पूछा गया, "पिछले साल जब चीन ने ब्रिक्स की मेजबानी की थी तो पाकिस्तान को नहीं बुलाया गया था. विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि एक देश (भारत) के विरोध के कारण पाकिस्तान उस बैठक में शामिल नहीं हुआ. इंडियन मीडिया का कहना है कि चीन ने ब्रिक्स में पाकिस्तान को शामिल करने की पैरवी की है. क्या पाकिस्तान ब्रिक्स के मित्र देशों के संपर्क में था?"
इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "पाकिस्तान बहुपक्षवाद का प्रबल समर्थक है और कई बहुपक्षीय संगठनों के सदस्य के रूप में हमेशा वैश्विक शांति और विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पाकिस्तान भी एक विकासशील देश है जिसने दक्षिण के देशों के बीच शांति, एकजुटता और सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं. हम अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना को बढ़ावा देने और समावेशी बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना प्रयास जारी रखेंगे."
BRIC से BRICS, फिर BRICS PLUS
साल 2001 में अर्थशास्त्री जिम ओ नील ने ब्राजील, रूस, भारत और चीन में मजबूत विकास दर की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए ब्रिक (BRIC) शब्द का इस्तेमाल किया था. जिम ओ नील के एक शोध में कहा गया था कि 2050 तक ब्रिक देशों की संयुक्त अर्थव्यवस्थाएं तत्कालीन अमीर देशों की अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ देंगी.
BRIC विदेश मंत्रियों की पहली बैठक 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान रूस में आयोजित की गई थी. ब्रिक समूह का पहला शिखर सम्मेलन 2009 में आयोजित किया गया था. एक साल बाद 2010 के अंत में दक्षिण अफ्रीका को इसमें शामिल किया गया. दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद ब्रिक का नाम बदलकर ब्रिक्स हो गया. ब्रिक्स में 6 नए देशों को शामिल करने से सदस्य देशों की संख्या 11 हो जाएगी. BRICS को अब BRICS PLUS कहा जा रहा है.