शराब घोटाले में आरोपी योगेंद्र तिवारी का कबूलनामा, अधिकारियों को देता था पैसा
रांची
झारखंड में कथित शराब घोटाले में ईडी की जांच में यह बात सामने आयी है कि शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी उत्पाद विभाग के अफसरों को भी पैसा देता था। साल 2021 में शराब के थोक कारोबारी की नीति बनाने में भी पैसे का खेल हुआ था। जिसके बाद जामताडा-मिहिजाम सिंडिकेट ने 19 जिलों में शराब का थोक कारोबार हासिल किया था। इसके लिए योगेंद्र व उसके सिंडिकेट से जुड़े लोगों ने कई कंपनियां बनाईं थीं। इसके ठीक पहले उन कंपनियों के खातों में करोड़ों का ट्रांजेक्शन किया गया था, ताकि कंपनियां ठेके हासिल करने की अर्हता पूरी कर सकें।
ईडी जहां पुरानी शराब नीति की जांच कर रही है। वहीं नई शराब नीति में भी उत्पाद विभाग के अफसरों की भूमिका की जांच हो रही है। नई शराब नीति लागू होने के बाद छतीसगढ़ के अरुणपति त्रिपाठी को अहम जिम्मेदारी दी गई थी। अरुणपति छतीसगढ़ शराब घोटाले के मुख्य आरोपी हैं। छतीसगढ़ में सक्रिय रही होलोग्राम कंपनी व मैनपावर आपूर्ति करने वाली कंपनियां ही झारखंड में सक्रिय थीं। फर्जी होलोग्राम से झारखंड में भी शराब की बिक्री करने का मामला सामने आया है।
कई अधिकारियों को समन की तैयारी
राज्य में शराब घोटाले की जांच में बड़े लोगों से पूछताछ की तैयारी है। ईडी इस मामले में अब वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, उनके बेटे रोहित प्रियदर्शी उरांव समेत उत्पाद विभाग के वरिष्ठ आईएएस अफसरों से पूछताछ करेगी। ईडी सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही सभी इनसे पूछताछ को समन भी किया जाएगा। मंत्री रामेश्वर उरांव के दफ्तर से 30 लाख की बरामदगी व बेटे रोहित उरांव के ठिकानों पर छापेमारी के बाद ईडी ने समन का फैसला लिया है।