November 27, 2024

उच्च न्यायालय ने रजरप्पा मंदिर, टैगोर हिल के सौंदर्यीकरण का आदेश दिया

0

रांची.
झारखंड उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को टैगोर हिल और उसके ऊपर नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर के परिवार से जुड़ी संरचनाओं का सौंदर्यीकरण करने का निर्देश दिया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मोरादाबादी क्षेत्र में 300 मीटर ऊंची पहाड़ी के ऊपर की संरचनाओं को ''प्राचीन स्मारक'' के रूप में स्वीकार नहीं करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का भी आदेश दिया।

एक अन्य जनहित याचिका में, अदालत ने सरकार को रामगढ़ जिले के रजरप्पा में 10 'महाविद्याओं' में से शुमार प्रतिष्ठित मां छिन्नमस्तिका मंदिर के उचित रखरखाव का भी आदेश दिया। 'सोसाइटी फॉर प्रिजर्वेशन ऑफ ट्राइबल कल्चर एंड नेचुरल ब्यूटी' ने जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से एएसआई को टैगोर हिल पर संरचनाओं को प्राचीन स्मारकों के रूप में संरक्षित रखने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

एएसआई ने यह कहते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया था कि संरचनाएं 100 साल से अधिक पुरानी नहीं हैं और 'प्राचीन स्मारक' की श्रेणी में आने के योग्य नहीं हैं। रवीन्द्रनाथ के बड़े भाई ज्योतिरींद्रनाथ टैगोर लेखक, समाज सुधारक, संगीतकार और चित्रकार थे। उन्होंने बचपन में रवीन्द्रनाथ को उनके व्यक्तित्व को आकार देने के लिए कई तरह से प्रेरित किया।

ज्योतिरींद्रनाथ ने जगह खरीदी और एक घर तथा एक 'ब्रह्म मंदिर' (ध्यान लगाने के लिए एक संरचना) का निर्माण किया। वर्ष 1920 में प्रकाशित हुई वसंतकुमार चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित बंगाली पुस्तक 'ज्योतिरींद्रनाथेर जीवन-स्मृति' का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि ज्योतिरींद्रनाथ ने अपनी डायरी में 23 अक्टूबर, 1908 को एक प्रविष्टि की थी, जिसमें उन्होंने लिखा था, ''आज पहाड़ी पंजीकृत हो गई है।''

याचिकाकर्ता ने कहा कि बाद में, इसके ऊपर बने 'शांति धाम' नाम के घर का उद्घाटन 1910 में किया गया और चार मार्च, 1925 को ज्योतिरींद्रनाथ का वहीं निधन हो गया। हाल में पारित आदेश में उच्च न्यायालय ने एएसआई को पहाड़ी के ऊपर की संरचनाओं को ''प्राचीन स्मारक'' के रूप में स्वीकार नहीं करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *