बिहार के 200 युवा आतंकी संगठन से जुड़े, पीएफआई के रेयाज मारूफ ने किए चौंकाने वाले खुलासे
बिहार
जांच एजेसियों को लंबे समय तक चकमा देता रहा पीएफआई का रेयाज मारूफ फुलवारीशरीफ में एफआईआर दर्ज होने और संगठन पर प्रतिबंध लगने के बाद भी पूरी तरह सक्रिय रहा। उसने इस दौरान लगातार बैठकें कीं और 200 से अधिक युवकों को पीएफआई से जोड़ा। वह नए युवाओं को आतंकी गतिविधियों की ट्रेनिंग देने के लिए कैंप आयोजित करता था। बीते दिनों पूर्वी चंपारण पुलिस की एसटीएफ की गिरफ्त में आए रेयाज ने पूछताछ में यह खुलासा किया और कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। रेयाज से पूछताछ में आए तथ्यों के आधार पर कई और संदिग्ध एनआईए और पुलिस के रडार पर आ सकते हैं।
पुलिस के अनुसार, रेयाज ने मुजफ्फरपुर में बरुराज के अलावा दरभंगा, मधुबनी, पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण में युवकों को पीएफआई से जोड़ने के लिए बैठकें की। उसने मुजफ्फरपुर के बरुराज और दरभंगा के जाले में संगठन से नये जुड़े युवकों के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाया। पीएफआई का स्टेट वाइस प्रेसिडेंट रेयाज नेपाल सीमा से सटे जिलों में दो साल से अधिक समय तक सक्रिय था। पटना के फुलवारीशरीफ में 12 जुलाई 2022 को रेयाज मारूफ समेत 26 नामजद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। पीएफआई पर सितंबर 2022 में प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद भी रेयाज बैठकें कर और कैंप लगाकर युवकों को संगठन से जोड़ता रहा।
रेयाज से पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे, एनआईए लेगी रिमांड पर
पूछताछ में रेयाज ने पुलिस को बताया है कि वह 2020 की शुरुआत में मेहसी के याकूब खान उर्फ सुल्तान उर्फ उस्मान के माध्यम से पीएफआई से जुड़ा था। संगठन में उसके संबंध बिहारशरीफ के शमीम अख्तर से बेहतर हो गए। इसके बाद उसे संगठन में वाइस प्रेसिडेंट की जिम्मेवारी सौंप दी गई। मिली जानकारी के अनुसार पीएफआई पर प्रतिबंध लगने के बाद रेयाज ने दरभंगा के सनाउल्लाह, मधुबनी के मो. तौसीफ, मेहसी के मो. रेयाज, बरुराज के बेलाल अहमद व कादिर अंसारी के साथ मिलकर गुप्त बैठकें शुरू कर दी।
उसने पुलिस को बताया है कि प्रतिबंध के बाद पीएफआई की 20 से अधिक बैठकें और आतंकी ट्रेनिंग कैंप अलग-अलग जिलों में आयोजित किए। अब रेयाज को एनआईए रिमांड पर लेगी और गहनता से पूछताछ करेगी। उसके खिलाफ एनआईए में केस दर्ज है। इसके लिए शीघ्र ही कोर्ट में आवेदन दिया जा सकता है।
युवकों का ऐसे ब्रेन वॉश करता था रेयाज
युवकों को धार्मिक आयोजन के नाम पर जुटाया जाता था। इन आयोजनों में युवकों को अत्याचार के वीडियो क्लिप दिखाकर उकसाया जाता था। आपदाओं में मुस्लिम समाज की मदद के नाम पर चंदा इकट्ठा किया जाता था। रेयाज ने बताया कि जब एनआईए की छापेमारी होने लगी तब संगठन के लोगों को वाट्सएप पर वॉयस क्लिप भेजकर संदेश पहुंचाया जाता था। रेयाज से पूछताछ में आए तथ्यों के आधार पर कई और संदिग्ध एनआईए और पुलिस के रडार पर आ सकते हैं। उसने नेपाल की सीमा से सटे बिहार के कई जिलों में अपना नेटवर्क खड़ा किया है।