भारत, सऊदी अरब के बीच व्यापार 200 अरब डॉलर तक जा सकता है: पीयूष गोयल
नई दिल्ली
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सऊदी अरब के निवेश मंत्री खालिद ए. अल-फलीह के साथ यहां दोनों देशों के शीर्ष उद्यमियों की बैठक में कहा कि वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार को 200 अरब डालर तक पहुंचाया जा सकता है।
उन्होंने उद्योग मंडल द्वारा यहां आयोजित बैठक में कहा कि भारत कि अमृत काल में अभूतपूर्व विकास सुनिश्चित करने की आकांक्षा रखता है। गोयल ने चर्चा की कि दोनों देशों के बीच व्यापार को किस तरह वर्तमान 52 अरब डॉलर के स्तर से दोगुना और उसके बाद फिर बढ़ाकर 200 अरब डॉलर वार्षिक के स्ततर पर पहुंचाया जाया जा सकता है।
खालिद ने सऊदी अरब के शासन द्वारा देश में व्यापार निवेश के लिए विस्तृत किए जा रहे अवसरों की जानकारी देते हुए भारतीय कंपनियों को वहां ‘अपना घर, अपना अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय /केंद्र बनाने’ का आमंत्रण दिया । उन्होंने भारतीय निवेशकों को वहां 24-27 अक्टूबर तक होने जा रहे वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन के लिए भी आमंत्रित किया।
खालिद ने देशों के प्राचीन ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और सऊदी अरब एक दूसरे के पूरक और एक दसरे के ‘विस्तार’के समान हैं।
उन्होंने भारतीय मानव संसाधन की मेहनत,उत्पादकता, निष्ठा, ईमादारी और नेकनियती की भी सराहना की। वह गोयल द्वारा सऊदी अरब से भारत की युवा श्रम शक्ति का लाभ उठाने के सुझाव का जवाब दे रहे थे।
वाणिज्य मंत्री ने सऊदी अरब के निवेशकों को गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस-टेक (गिफ्ट) सिटी आने और फिर उसके बाद निवेश लाने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा, ‘निवेशक इस बात की काफी सराहना करेंगे कि भारत की नियामकीय व्यवस्था को सरल बना दिया गया है। इसके अलावा, सभी नियमनों के लिए केवल एक ही नियामक है। इसके अलावा, भारत ने करों में छूट दी है और गिफ्ट सिटी के अंदर एवं बाहर धनराशि का स्थानांतरण करने को निर्बाध बना दिया है।’
गोयल ने सुझाव दिया कि भारत सरकार और इन्वेस्ट इंडिया के साथ मिलकर भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की) सऊदी अरब के रियाद में एक ‘निवेश और व्यापार संवर्धन कार्यालय’ खोल सकता है।
गोयल ने संतुलित व्यापार पर विशेष बल देते हुए उन अवसरों के बारे में भी चर्चा की जिनके तहत भारत सऊदी अरब को खाद्य सुरक्षा प्रदान कर सकता है, जबकि भारत को ऊर्जा, तेल और उर्वरक मुहैया कराए जा सकते हैं।
उन्होंने ‘नियोम सिटी’ के बारे में भी चर्चा की और कहा कि सऊदी अरब सरकार इसे 500 अरब डॉलर की लागत से स्थापित कर रही है। उन्होंने कहा कि पूरे शहर में 100 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा की अवधारणा इस तरह से बनाई गई है कि यह उपयोगकर्ताओं के अनुकूल होगी जिसके तहत विशाल भूभाग समुद्र तट का उपयोग किया जाएगा।गोयल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत व्याउपक योगदान दे सकता है।’
उन्होंने कहा कि यह समय सऊदी अरब से भारत में निवेश तेज करने का समय है। उन्होंने कहा कि पिछले साल सऊदी अरब से केवल 4 अरब डॉलर का एफडीआई आया था जो कि कोविड अवधि के दौरान भी 2.8 अरब डॉलर था।
उन्होंने कहा कि भारत के प्रसंस्करण उद्योग में सऊदी अरब का निवेश कृषि और खाद्य सुरक्षा को तेज गति प्रदान कर सकता है।
गोयल ने कहा कि इसी तरह फार्मा क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब और भारत के नियामक अधिकारियों के बीच बेहतर सामंजस्य से फार्मा उद्योगों को काफी मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में रहने वालों को भारतीय दवाओं तक आसान पहुंच मिलनी चाहिए, जिससे भारतीय फार्मा कंपनियों को सऊदी अरब में निवेश करने के लिए व्याकपक प्रोत्साहन मिलेगा।
भारत और ब्रिटेन ने आर्थिक और बहुपक्षीय मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर किया विचार विमर्श
नई दिल्ली
भारत और ब्रिटेन ने दोनों देशों की आर्थिक शक्तियाें के मद्देनजर व्यापक आर्थिक एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर आज विचार विमर्श किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने यहां 12वीं भारत-ब्रिटेन आर्थिक एवं वित्तीय वार्ता की सह-अध्यक्षता की जिसके बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया।
दोनों देशों ने यूके-इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ब्रिज, विशेषज्ञता का लाभ उठाने और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को अनलॉक करने के लिए एक सहयोगी पहल की घोषणा की गई थी। 12वीं इस बैठक ने गिफ्ट सिटी को लेकर एक बड़ी भूमिका की परिकल्पना की जिससे भारत में विदेशी निवेश बढ़ाने में मदद मिले।
दोनों पक्षों ने पेंशन और बीमा क्षेत्रों में साझेदारी, नियामक सहयोग, ग्रीनफाइनेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग और भारत में ब्रिटेन की कंपनियों द्वारा निजी निवेश को बढ़ावा देने के नए क्षेत्रों की खोज पर विचार विमर्श किया गया।
इसके साथ ही आज दोनों देशों के वित्त मंत्रियों ने भारत यूके वित्तीय साझेदारी पर उदय कोटक और बिल विंटर्स की सह अध्यक्षता में आयोतित बैठक में भी भाग लिया।
भारत और ब्रिटेन ने वित्तीय सेवाओं पर अपने सहयोग को गहरा करने, एक-दूसरे की ताकत पर निर्माण करने और वित्तीय समावेशन और सतत विकास की दिशा में आपसी आकांक्षाओं का समर्थन करने की प्रतिबद्धता दोहराई। गिफ्ट आईएफएससी में वित्तीय सेवाओं और निवेश को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा की जा रही गतिविधियों और उसी का समर्थन के लिए ब्रिटेन ने प्रतिबद्धता जतायी।
इस बैठक का फोकस बुनियादी ढांचे के विकास की प्राथमिकताओं, मजबूत फिनटेक साझेदारी और दीर्घकालिक विकास उद्देश्यों के लिए सतत वित्त को आगे बढ़ाने के वास्ते भारत और ब्रिटेन के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान, सहयोग और समर्थन को बढ़ाने पर भी था।
दोनों पक्षों ने व्यापक आर्थिक और बहुपक्षीय मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श किया। दोनों देशों ने भारत-ब्रिटेन इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस ब्रिज की घोषणा की, जो भारत की राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के समर्थन में विशेषज्ञता और निवेश का लाभ उठाने के लिए एक सहयोगी पहल है।
बैठक में वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। ब्रिटेन वित्त मंत्रालय, बैंक ऑफ इंग्लैंड और वित्तीय प्राधिकरण के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।