November 28, 2024

दिल्ली से 115 किलोमीटर दूर यहां लगता है तीसरे साल विशाल मेला, विदेशों से भी आते हैं श्रद्धालु, जानें खासियत

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 बुलंदशहर

दिल्ली से करीब 115 किलोमीटर की दूर और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर स्थित डेरा बाबा खड़क सिंह का गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा सिख समुदायों के लोगों का प्रमुख आस्था का केन्द्र है। यहां वर्ष भर सिख श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है। हर तीसरे वर्ष लगने वाले पांच दिवसीय मेले में लाखों की संख्या में देश-विदेश से सिख श्रद्धालु यहां मत्था टेक कर अपनी अरदास लगाने के लिए पहुंचते हैं। इस गुरुद्वारे की मान्यता देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में है।

कौन थे बाबा खड़क सिंह
बाबा खड़क सिंह महान योद्धा थे,जिनका इतिहास काफी गौरवशाली है। इनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि औरंगजेब के शासनकाल से जुड़ी हुई बताई जाती है। बाबा खड़क सिंह का जन्म पंजाब के जिले होशियारपुर के गांव में हुआ था।  गुरुओं के आदेश पर बाबा खड़क सिंह देश भर में सिख धर्म का प्रचार प्रसार में लगे हुए थे। करीब 300 वर्ष पूर्व इसी क्रम में वह जनपद बुलंदशहर के कस्बा जहांगीराबाद पहुंचे थे। उन्होंने यहां कुटिया बनाकर आसपास के क्षेत्रों में सिख धर्म का प्रचार प्रसार किया था, और वो यहीं पर रुक गए थे।

जहांगीराबाद में बाबा खड़क सिंह का शरीर पूरा हो गया था,और उनकी आखिरी इच्छा अनुसार गंगा किनारे अहार क्षेत्र में समाधी बनायी गयी थी। यह समाधि परिसर करीब 16 एकड़ भूमि में फैली हुई है। जो आज बाबा खड़क सिंह गुरुद्वारे के नाम से जानी जाती है। अहार स्थित डेरे में बाबा खड़क सिंह की 19वीं गद्दी है, जिस पर वर्तमान में बीबा उंकार प्रीत कौर विराजमान है।
 
हर तीसरे वर्ष लगता है विशाल मेला
डेरा बाबा खड़क सिंह गुरुद्वारे पर हर तीसरे वर्ष जून माह में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें करीब 4-5 लाख  लोग आते हैं। जिसमें पंजाब, हरियाणा,राजस्थान, दिल्ली,हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्ताराखंड आदि प्रान्तों के अलावा विदेशों से भी सिख श्रद्धालु मेले में शामिल होने के लिए आते हैं। ज्यादातर श्रद्धालु ट्रक व ट्रैक्टरों से लंबी दूरी तय कर बाबा खड़क सिंह के दरबार में पहुंचते हैं।

राजनीतिक हस्तियां एवं बड़े उद्योगपति भी मत्था टेकने आते हैं
बाबा खड़क सिंह गुरुद्वारे की मान्यता के चलते यहां आने वाले श्रद्धालुओं में देश के बड़े औहदे पर बैठे लोग भी शामिल हैं। बताया जाता है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी भी मेले में शामिल हो चुकी हैं। साथ ही कई राजनीतिक हस्तियां एवं बड़े उद्योगपति भी यहां मत्था टेकने के लिए आते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री व लोकसभा सांसद मेनका गांधी की आस्था भी गुरुद्वारा परिसर से जुड़ी हुई है। समय के अंतराल पर वह यहां मत्था टेकने के लिए आती रहती हैं।

मेले में होती हैं चार भेंटे
डेरा बाबा खड़क सिंह मेले के दौरान चार भेंट होती हैं, जिसमें सिख श्रद्धालु गुरुद्वारा परिसर की परिक्रमा कर अरदास लगाते हैं। गुरुद्वारा परिसर में दिन रात शबद कीर्तन का आयोजन किया जाता है। अंतिम भेंट वाले दिन श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद गुरु प्रसाद पाकर वापस होना शुरू हो जाते हैं।

सेवादारी करने के लिए लगती हैं कतारें
यहां मेले के दौरान लाखों की संख्या में सिख श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। पांच दिन लगातार लंगर की व्यवस्था के साथ-साथ मीठे शर्बत का वितरण किया जाता है। यहां पूरी व्यवस्थाओं की बागडोर खुद श्रद्धालु ही संभालते हैं। सेवादारी के लिए यहां श्रद्धालुओं की कतारें लग जाती हैं। जिसमें लाखों लोगों के लिए लंगर बनाने व परोसने से लेकर झूठे बर्तनों को साफ करने के लिए श्रद्धालु बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।

बाबा खड़क सिंह गुरुद्वारा, मेला संरक्षक, जोगा सिंह ने बताया कि बाबा खड़क सिंह के प्रति सिख समाज की अगाध श्रद्धा है। बाबा के दरबार में भारत के विभिन्न प्रांतों में रहने वाले श्रद्धालुओं के साथ अमेरिका, कनाडा,  ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों से भी भक्तगण बाबा के दरबार में लगने वाले मेला में शामिल होते हैं। बाबा खड़क सिंह गुरुद्वारा के मुख्य सेवादार, सतनाम सिंह ने कहा कि पूरे सालभर बाबा खड़क सिंह की समाधी पर मत्था टेककर अपनी मुरादें लेकर श्रद्धालु आते रहते हैं। बाबा खड़क सिंह को गंगा का क्षेत्र बेहद पसंद था। बाबा की इच्छा के अनुसार ही गंगा किनारे अहार में उनकी समाधि और गुरुद्वारा बनाया गया।

 

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