November 27, 2024

धार्मिक गुरु नहीं, हत्यारा था; खुल गया निज्जर की करतूतों का कच्चा चिट्ठा, PAK में ली IED ब्लास्ट की ट्रेनिंग

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नईदिल्ली

खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की मौत को लेकर कनाडा ने भारत पर इल्जाम लगाया है। हालांकि, कनाडा ने अभी भी इस बात का सबूत नहीं दिया कि निज्जर की हत्या में भारत के खुफिया एजेंटों का हाथ था। कनाडाई खुफिया विभाग लगातार इस दावे को आगे बढ़ा रहा है कि निज्जर कनाडा के सरे में गुरु नानक गुरुद्वारे का निर्दोष और धार्मिक प्रमुख था। भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए एक डोजियर में दावा किया गया है कि निज्जर कोई धार्मिक गुरु नहीं बल्कि एक हत्यारा था। निज्जर ने अपने चचेरे भाई और गुरुद्वारे के पूर्व अध्यक्ष रघबीर सिंह निज्जर को धमकी देकर सिख मंदिर का प्रमुख बन गया था।

जून 2023 में हुई निज्जर की हत्या
बता दें कि कुख्यात अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की 8 जून 2023 की शाम को स्थानीय समयानुसार लगभग 8:25 बजे सरे, बीसी, कनाडा में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. 10 नवंबर 1977 को जन्मे और मूल रूप से पंजाब के जालंधर के भारसिंहपुर के रहने वाले निज्जर का आतंक संबंधी गतिविधियों में शामिल होने का एक लंबा इतिहास रहा है. सूत्रों का कहना है कि वह स्थानीय खेती और डेयरी से जुड़ा था.

भारत ने साल 2018 में कनाडा को सौंपा था डोजियर
बता दें कि कनाडा सरकार को निज्जर पर साल 2018 में भारत ने डोजियर सौंपा था. निज्जर साल 1996 में भारत से कनाडा भाग गया जहां पर वो ड्रग स्मगलिंग, एक्सट्रोरेशन सिंडिकेट में शामिल होकर आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे जुटाने लगा था. निज्जर साल 2012 में पाकिस्तान भी गया था जहां वो आतंकी जगतार सिंह तारा के संपर्क में आया. पाकिस्तान में जगतार सिंह की मदद से उसने हथियारों और IED धमाके की ट्रेनिंग ली. निज्जर गुरदीप सिंह का सहयोगी था जो पंजाब में 200 से ज्यादा हत्याओं में शामिल था.

2020 में घोषित हुआ आतंकी
हरदीप सिंह निज्जर का जन्म 11 अक्टूबर 1977  को हुआ. उसके पिता पियारा सिंह मूल रूप जालंधर के भारसिंहपुर, जिला के निवासी हैं. निज्जर केटीएफ मॉड्यूल के सदस्य के तौर पर एक्टिव रहा और इसके नेटवर्किंग, ट्रेनिंग, फाइनेंस के लिए  सक्रिय भूमिका निभाई.  साल 2020 में गृह मंत्रालय UAPA के तहत उसे आतंकी घोषित किया. निज्जर ने कनाडा में हथियार प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए, जहां उसने लोगों को एके-47, स्नाइपर राइफल और पिस्तौल चलानी सिखाई. निज्जर ने कथित तौर पर राजनीतिक और धार्मिक हस्तियों पर हमलों और उनकी हत्याओं के लिए सुपारी किलर्स को भारत भेजा था.

निज्जर का पाक कनेक्शन
वह बीकेआई (बब्बर खालसा इंटरनेशनल) का संचालक था, जो 2013 में जगतार सिंह उर्फ ​​तारा के संगठन का स्वयंभू प्रमुख बनने के बाद केटीएफ में शामिल हो गया था. इसके बाद, उसने केटीएफ को मजबूत करने और पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों के आयोजन के लिए 2013 और 14 में तारा और आईएसआई अधिकारियों के साथ कई मीटिंग्स की. इसके लिए वह पाकिस्तान भी गया. 

ऐसे खड़ा किया केटीएफ मॉड्यूल
हरदीप सिंह निज्जर ने अर्श डाला के साथ मिलकर 4 सदस्यों वाला केटीएफ मॉड्यूल खड़ा किया, जो टारगेट लोगों की हत्याएं करता था. हरदीप निज्जर और अर्शदीप दल्ला ने मोगा के एसएसपी हरमनबीर सिंह गिल और मोगा में अपराध जांच एजेंसी (सीआईए) के दो इंस्पेक्टरों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी. एनआईए ने 22/07/2022 को निज्जर पर 10 लाख रुपये का नकद इनाम घोषित किया था और एनआईए कोर्ट मोहाली में आरोप पत्र दाखिल किया है. 

आतंकी गतिविधियों के लिए तारा को भेजे रुपये
कनाडा में रहने के दौरान उसने एक और आतंकी को हथियार और GPS डिवाइस की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजा. जगतार तारा को उसने साल 2014 में आतंकी गतिविधियों के लिए 1 मिलियन रुपये भी भेजे थे. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक निज्जर ने साल 2014 में सिरसा में डेरा सच्चा सौदा पर आतंकी हमले की योजना बनाई थी लेकिन भारत का वीसा न मिल पाने की वजह से वो ऐसा नहीं कर सका. निज्जर साल 2021 में कनाडा के सरे (Surrey) स्थित गुरुद्वारा का प्रेसिडेंट बन गया.

 

कई प्रतिबंधित संगठनों से जुड़ा निज्जर
जगतार सिंह तारा के भारत प्रत्यारोपण के बाद निज्जर खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स का ऑपरेशनल हेड बन गया. एनआईए ने निज्जर के खिलाफ कई मामले दर्ज किए जिनमें मनदीप सिंह धालीवाल से जुड़े कनाडा में मॉड्यूल खड़ा करने के आरोप है.  निज्जर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस से जुड़ा था. उसने कनाडा में भारत विरोधी हिंसक विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किया था और भारतीय राजनयिकों को धमकी दी थी.  उसने कनाडा में स्थानीय गुरुद्वारों द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए भारतीय दूतावास के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने का भी आह्वान किया था. 

निज्जर की आतंकी गतिविधियों का लंबा रिकॉर्ड
निज्जर का आतंक संबंधी गतिविधियों में शामिल होने का एक लंबा इतिहास रहा है. सूत्रों का कहना है कि वह स्थानीय खेती और डेयरी से जुड़ा था. हालांकि सूत्रों का कहना है कि 1996 में कनाडा चले जाने के बाद उसने खालिस्तान आतंकवाद में कदम रखा और रवि शर्मा नाम से फर्जी पासपोर्ट बनवाकर भाग गया. यहां एक शपथपत्र में उसने ऐसा दिखाया कि  उसके भाई, पिता और चाचा सभी को गिरफ्तार कर लिया गया था और खुद पुलिस ने प्रताड़ित किया था. उसके दावे को खारिज कर दिया गया, क्योंकि अधिकारियों ने सोचा कि उसकी कहानी अविश्वसनीय है. उसके दावे को अस्वीकार करने के कुछ ही समय बाद, निज्जर ने एक महिला से शादी की, जिसने उसकी इमिग्रेशन को लेकर मदद की. 

अधिकारियों ने नोट किया कि महिला 1997 में किसी अन्य पुरुष से शादी करके कनाडा आई थी. 2001 में, निज्जर ने इस फैसले के खिलाफ अपील की लेकिन हार गया. हालाकि एक दशक बाद, निज्जर 25 मई 200 7 को कनाडाई नागरिक बन गया. इसके बाद 2018 में निज्जर ने इलाके में प्लंबर का काम किया और सरे में गुरु नानक सिख गुरुद्वारा का अध्यक् भी बन गया. 

 

ऐसे हुई खालिस्तानी गतिविधियों में निज्जर की एंट्री
पुलिस सूत्रों का कहना है कि खालिस्तानी गतिविधि में निज्जर का प्रवेश तब सामने आया जब वह सिख लिबरेशन फ्रंट (एसएलएफ) के संस्थापकों में से एक मोनिंदर सिंह के साथ जुड़ा. आतंकवादी गतिविधियों में निज्जर की संलिप्तता बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) और बाद में खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के साथ उसके जुड़ाव से जुड़ी है, जब जगतार सिंह, जिसे तारा के नाम से भी जाना जाता है, 2013 में संगठन का स्वयंभू प्रमुख बन गया. उस पर आरोप है कि उसने केटीएफ को मजबूत करने और पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से पंजाब के सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे तारा और आईएसआई अधिकारियों से मिलने के लिए 2013 और 2014 में पाकिस्तान की यात्रा की थी. वह केटीएफ मॉड्यूल सदस्यों की पहचान, नेटवर्किंग, प्रशिक्षण, वित्तपोषण और संचालन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए.

नवंबर 2014 में की पाकिस्तान की यात्रा
अक्टूबर 2014 में, जब जगतार सिंह तारा थाईलैंड में छिपा हुआ था, तो उसने कनाडा स्थित हरदीप सिंह निज्जर को बुलाया था, जो उसे स्थिति से बाहर निकालने में मदद के लिए वहां पहुंचा था. जबकि तारा को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में वापस भेज दिया गया, निज्जर बच गया क्योंकि कनाडाई नागरिक जांच से बचने में कामयाब रहा. तारा के दूत के रूप में कार्य करते हुए, हरदीप सिंह निज्जर ने नवंबर 2014 को व्यक्तिगत रूप से बैंकॉक से पाकिस्तान की यात्रा की.

बताया जाता है कि वापस लौटने पर रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने निज्जर से पूछताछ की. आरोप है कि पंजाब में हत्याओं के अलावा कई आतंकी-संबंधी घटनाओं को निज्जर ने अंजाम दिया था. फरवरी 2018 में पंजाब के तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को सौंपी गई मोस्ट-वांटेड सूची में उसका नाम शामिल था. निज्जर ने अर्शदीप और अन्य के साथ मिलकर एक आतंकवादी गिरोह बनाया और चार लोगों को भर्ती किया. उन्होंने पंजाब में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भय और असंतोष की भावना पैदा करने के लिए अन्य धर्मों के लोगों के अपहरण और हत्या की साजिश रची.

 

शूटरों को दिया शानदार नौकरी का लालच 
जांच से सामने आया कि निज्जर और अर्शदीप ने शूटरों को कनाडा में उनके लिए वीजा, शानदार नौकरी और अच्छी कमाई का इंतजाम करने के बदले आतंकी वारदात करने का लालच दिया था. शुरुआत में उन्हें पंजाब में व्यापारियों को धमकाने और उनसे पैसे वसूलने के लिए तैयार किया गया था और बाद में, उन्हें कट्टरपंथी बनाया गया और अन्य धर्मों के व्यक्तियों की हत्या के आतंकवादी कारनामों को अंजाम देने के लिए जोर दिया गया.

आतंकी घटनाएं जिनसे जुड़ा निज्जर का लिंक
20-04-10 को रात 8:30 बजे आर्य समाज चौक, पटियाला में बम विस्फोट हुआ. इसमें 04 व्यक्तियों को मामूली चोटें आईं. गिरफ्तार आरोपी बीकेआई के प्रमुख मॉड्यूल सदस्य रमनदीप सिंह उर्फ ​​गोल्डी ने पंजाब के साथ-साथ भारत में विस्फोट करने और आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने में हरदीप सिंह निज्जर की संलिप्तता के बारे में खुलासा किया. मार्च 2014 में निज्जर के कहने पर कनाडाई नागरिक सुरजीत सिंह कोहली ने भारत का दौरा किया.

उसने वीपीओ मुगल माजरी, जिला निवासी पूर्व बीकेआई आतंकवादी परमिंदर उर्फ ​​काला को प्रेरित किया. रोपड़ में एक सामाजिक-धार्मिक प्रमुख बाबा प्यारा सिंह भनियारावाला और पंथ विरोधी गतिविधियों में उनकी कथित भूमिका के लिए एक शिव सेना नेता संजीव घनौली की हत्या के लिए उकसाया.  निज्जर ने अपने सहयोगी सुरजीत सिंह कोहली को धन मुहैया कराया, जिसने 2015 में स्थानीय निर्मित हथियार खरीदने के लिए इसे परमिंदर सिंह उर्फ ​​काला को सौंप दिया.

युवाओं को दी हथियार चलाने की ट्रेनिंग
दिसंबर, 2015 में, हरदीप उर्फ ​​निज्जर ने मिशन हिल्स, बीसी, कनाडा में एक हथियार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया. इसमें मनदीप सिंह धालीवाल और अन्य युवाओं को एके-47, स्नाइपर राइफल और पिस्तौल चलाने का प्रशिक्षण दिया गया. बाद में जनवरी, 2016 में निज्जर ने मनदीप सिंह धालीवाल को शिवसेना नेताओं और वीआईपी को निशाना बनाने के लिए पंजाब भेजा. मनदीप को जून 2016 में गिरफ्तार किया गया था. आरोपी मनदीप सिंह ने पंजाब पुलिस और खुफिया अधिकारियों को बताया कि उन्होंने अभ्यास और प्रशिक्षण के तहत तीन बोरी गोला बारूद फायर किया था.

पंजाब में सांप्रदायिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने के उसके मंसूबों नाकाम हो गए. हरदीप सिंह ने अर्श डाला के साथ मिलकर 4 सदस्यों वाला केटीएफ मॉड्यूल खड़ा किया, जिसने भगता भाई का, बठिंडा में एक डीएसएस फॉलोवर मनोहर लाल की 20 नवंबर, 2020 को हत्या कर दी. इसके अलावा 31 जनवरी 2021 में भागसिंहपुरा गांव (फिल्लौर) में हिंदू पुजारी प्रज्ञा ज्ञान मुनि पर जानलेवा हमला किया. 

जुलाई 2021 में शक्ति सिंह निवासी दागू रोमाना गांव (फरीदकोट) के अपहरण और हत्या का प्रयास किया. साथ ही बेअदबी का आरोपी और मोगा में सनशाइन क्लॉथ स्टोर के मालिक तेजिंदर उर्फ ​​पिंका की हत्या 14 जुलाई, 2020 में कर दी.  पंजाब पुलिस ने मॉड्यूल के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. सितंबर 2021 में, हरदीप निज्जर और अर्शदीप सिंह दल्ला के आदेश पर, केटीएफ के 3 सदस्यों कंवरपाल सिंह, कुलविंदर सिंह और कमलप्रीत सिंह, सभी से हथियारों की खेप बरामद की, जिसमें फोम में पैक 02 बक्से (जाहिरा तौर पर टिफिन बम) शामिल थे. ), 02 हैंड ग्रेनेड (86P), और 9 मिमी की 03 पिस्तौल शामिल थे. 22 सितंबर 2021 को पंजाब पुलिस ने इन्हें गांव भगवानपुर, जिला जालंधर के पास से गिरफ्तार किया.

हरदीप निज्जर और अर्शदीप दल्ला ने मोगा के एसएसपी हरमनबीर सिंह गिल और अपराध जांच एजेंसी (सीआईए) के दो इंस्पेक्टरों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी. 8. 19 फरवरी, 2022 को, हरियाणा पुलिस ने सोनीपत स्थित 3 सदस्यीय गिरोह को गिरफ्तार किया, जिसमें सागर उर्फ ​​बिन्नी, सुनील उर्फ ​​पहलवान और जतिन शामिल थे. 

निज्जर ने पंजाब में टारगेटेड किलिंग्स को अंजाम देने के लिए सीमा पार से अर्श डाला और लखबीर उर्फ ​​रोडे के माध्यम से गिरोह के सदस्यों के लिए एके -47 राइफल और 3 विदेशी निर्मित पिस्तौल वाले हथियारों की आपूर्ति की व्यवस्था की. यह समूह पहले हुई हत्याओं में भी शामिल था.

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