PM मोदी की डिग्री मामला : फैसला सुरक्षित, गुजरात हाईकोर्ट में केजरीवाल की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी
गुजरात
गुजरात हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से संबंधित मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर बहस पूरी होने के बाद शुक्रवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस बीरेन वैष्णव ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले जून में, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उसके हालिया आदेश की समीक्षा की मांग की। हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस निर्देश को दरकिनार कर दिया था, जिसमें उसने गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री मोदी की कला परास्नातक (एमए) की डिग्री के बारे में उन्हें जानकारी मुहैया कराने को कहा था।
जस्टिस वैष्णव ने मार्च में सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय की अपील स्वीकार की थी और केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था। केजरीवाल द्वारा अपनी पुनर्विचार याचिका में उठाए गए प्रमुख तर्कों में से एक यह है कि मोदी की डिग्री ऑनलाइन उपलब्ध होने के गुजरात विश्वविद्यालय के दावे के विपरीत, ऐसी कोई डिग्री विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।
हाईकोर्ट में शुक्रवार की सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील पर्सी कविना ने जस्टिस वैष्णव को बताया कि गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा संदर्भित दस्तावेज मोदी की बीए की डिग्री है, जबकि यह मामला उनकी एमए की डिग्री के बारे में है। कविना ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा उल्लिखित दस्तावेज “निश्चित रूप से कोई डिग्री नहीं है”।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंंग से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केजरीवाल की इस पुनर्विचार याचिका का उद्देश्य “बिना किसी कारण के विवाद को जीवित रखना” है। उन्होंने तर्क दिया कि यद्यपि विश्वविद्यालय को आरटीआई अधिनियम के तहत अपने छात्र की डिग्री साझा करने से छूट दी गई है, जब तक कि यह सार्वजनिक हित के अंतर्गत न आती हो, गुजरात विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जून 2016 में अपनी वेबसाइट पर डिग्री अपलोड की थी और याचिकाकर्ता को भी इसके बारे में सूचित किया था।
मेहता ने तर्क दिया, “आदर्श रूप से, उन्हें उसके बाद अपनी याचिका वापस ले लेनी चाहिए थी, लेकिन वह आगे बढ़ते रहे। उन्होंने सार्वजनिक चर्चा के स्तर को नीचे ला दिया।” बता दें कि, अप्रैल 2016 में तत्कालीन सीआईसी आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी की डिग्री के बारे में केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था।