सूकर में अफ्रीकन स्वाइन फीवर : रोकथाम के निर्देश जारी
भोपाल
संचालक पशुपालन एवं डेयरी डॉ. आर.के. मेहिया ने रीवा जिले में मृत सूकर में अफ्रीकन फीवर की पुष्टि के बाद विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों को सतर्क रहने और रोकथाम के दिशा निर्देश जारी किए हैं।
रीवा शहर में सूकरों की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई है। मृत सूकरों के सेम्पल जाँच के लिए रीवा जिले के पशु चिकित्सा अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान को भेजे गए थे। नमूनों की जाँच से मृत सूकरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर बीमारी की पुष्टि हुई है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर, सूकरों में होने वाली वायरस जनित बीमारी है। यह सूकरों से अन्य पशुओं (गाय, भैंस,बकरी) में नहीं फैलती है। साथ ही यह सूकरों से मनुष्यों में भी नहीं फैलता है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर का वर्तमान में कोई उपचार नहीं है। साथ ही सूकरों को इस बीमारी से बचाव के लिए कोई टीकाद्रव्य भी नहीं है। अत: इस बीमारी से बचाव एवं बीमारी को फैलने से रोकना ही एकमात्र उपाय है।
संचालनालय पशुपालन एवं डेयरी द्वारा अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बचाव के लिए सभी संभाग एवं जिला अधिकारियों को बीमारी की स्थिति में नेशनल एक्शन प्लान फॉर कंट्रोल, कन्टेनमेन्ट और इरेडिकेशन ऑफ अफ्रीकन स्वाइन फीवर के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश जारी किए गए है, जिनमें बीमारी की स्थिति में प्रसार को रोकने के निम्न सुझाव दिये गये हैं –
1. बीमार जानवर को स्वस्थ पशु से अलग रखा जाये।
2. संक्रमित पशु के भोजन, बिसरा और अवशेष का जैव सुरक्षा मानदण्डों के साथ निपटान किया जाय।
3. संक्रमित मृत पशु को जैव सुरक्षा मानदण्ड के साथ पशु चिकित्सा सलाह के अनुसार ही निपटान करना है।
4. सीरो सबैलेन्स, सीरो मानिटरिंग और जैव सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू किया जाय।
5. इस बीमारी के वाहक soft ticks के निपटान एवं नियन्त्रण के लिए समुचित उपाय किए जायें।
6. सूकर प्रजाति एवं सूकर फार्म से जुड़े वाहनों के आवागमन, खरीद-फरोक्त पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाये।
संयुक्त संचालक, रीवा को संक्रमित क्षेत्र में सर्वे कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने और बीमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।