विश्व यूथ म्यूथाई चैंपियनशिप: बस्तर के युवराज ने दिलाया भारत को कांस्य पदक
जगदलपुर
13 साल का युवराज सिंह जिसने दस साल की उम्र में क्रिकेट की गेंद को छोड़कर बाक्सिंग में अपना भाग्य अजमाना चाहा। युवराज ने म्यूथाई बाक्सिंग का रास्ता चुना। तीन साल में ही इस बच्चे ने कुछ ऐसा कर दिखाया जिसकी तमन्ना हर मां-बाप को होती है। पहले साल ही युवराज ने अपनी मेहनत के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर क्वालिफाई किया। इसके बाद कोरोना के दौर में आनलाइन चैंपियन बना। अब जब उसे देश के लिए खेलने का मौका मिला तो बस्तर के इस हीरे ने भारत का नेतृत्व करते देश के लिए कास्य पदक हासिल किया। युवराज ने न केवल देश की बल्कि बस्तर की भी पहचान को विदेश में एक नए खेल में दिलाया है।
मलेशिया के क्वालालामपुर में नौ से 20 अगस्त तक होने वाली विश्व यूथ म्यूथाई चैंपियनशिप में भारत के युवराज को उसबेकिस्तान के खिलाड़ी के हाथ सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले उसने इंग्लैंड व ब्राजील के खिलाडि?ों को पटखनी दी। विश्व खिताब पर कजाकिस्तान का कब्जा रहा। अंडर-14 आयुवर्ग में 71 किलो से अधिक के वर्ग में युवराज ने अपना हुनर दिखाया। देश के लिए कांस्य पदक हासिल करने वाले इस होनहार बालक में स्वर्ण पदक जीतने की भूख साफ दिख रही है।
जगदलपुर वापस लौटने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए युवराज ने बताया कि बाक्सिंग की यह विधा नई है। भारत की ओर से 26 बच्चे मलेशिया पहुंचे थे। छत्तीसगढ़ से मैं इकलौता था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल के नियमों की जानकारी के अभाव में हार का सामना करना पड़ा। अब यहां से जो सीखकर जा रहा हूं, इसके बाद कड़ी मेहनत कर दोबारा देश को सोना दिलाने का भरसक प्रयास करूंगा। युवराज के पिता राजेंद्र सिंह भी मलेशिया में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि जब उनके बेटे को मेडल मिला तो वे फूले नहीं समाए। युवराज जब देश के लिए कास्य पदक ले रहा था और उसके सिर पर तिरंगा लहरा रहा था तो राजेंद्र सिंह ने कहा वह उनके जीवन का सबसे अनमोल पल था। वह सबकुछ भूल गए देश के तिरंगे के साथ अपने बेटे को पाकर उनके रोंगटे खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि बेटे के लिए जो अब तक जो भी किया वह सब कुछ पल में ही फलीभूत होता नजर आया।