दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ठसाठस भरी क्लासें, क्लास में 190 बच्चे
नईदिल्ली
राजधानी दिल्ली के कई सरकारी स्कूलों की क्लासें बच्चों से ठसाठस भरी हुई हैं। क्लासों में बच्चों के बैठने तक की जगह नहीं है। नॉर्थईस्ट दिल्ली के इलाके में स्थिति ज्यादा खराब है। यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या स्कूल की सीट से काफी ज्यादा है। जौहरीपुर इलाके एक जूनियर प्राइमरी स्कूल में हर एक क्लास में औसतन 190 बच्चे हैं। यही हाल अन्य इलाकों के स्कूलों का भी है। शाहबाजपुर के अन्य दो सरकारी स्कूलों में यह अनुपात 102:1 और 109:1 है। इस क्षेत्र में एक कक्षा के लिए सबसे कम औसत 56 है।
NGO ने कोर्ट में उठाया मुद्दा
बच्चों की संख्या से जुड़ी ये जानकारी शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में दी, जहां एक एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट ने याचिका दायर कर शिक्षा विभाग पर सवाल उठाए थे। इस याचिका में कहा गया था कि नॉर्थईस्ट दिल्ली में छात्रों को सरकारी स्कूलों में बैठने की जगह की वजह से केवल दो घंटे ही पढ़ाई कराई जा रही है। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर को 19 अप्रैल को छापा था। बता दें कि दिल्ली का नॉर्थईस्ट इलाका आबादी के मामले में काफी घना है, इसके बाद भी वहां सरकारी स्कूलों की संख्या अन्य जिलों के मुकाबले काफी कम है।
RTE के मानकों को पूरा नहीं कर रहे दिल्ली के सरकारी स्कूल
छात्र-कक्षा अनुपात (student-classroom ratio) एक साल में स्कूल में क्लास में पढ़ने वाले छात्रों की औसत संख्या है। शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत प्राइमरी स्कूल के लिए आदर्श मानदंड 30:1 और जूनियर स्कूलों के लिए 35:1 है। कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया है, 'खजूरी इलाके के सर्वोदय कन्या विद्यालय और सर्वोदय बाल विद्यालय दोनों ही एक ही बिल्डिंग में चल रहे हैं। कन्या विद्यालय में 5834 तो बाल विद्यालय में 5560 छात्र पढ़ रहे हैं। इन स्कूलों का छात्र-कक्षा अनुपात ही कोर्ट में पेश किया गया और इसी पैटर्न पर अन्य स्कूलों की भी बात रखी गई है।
स्कूलों में बनाए जा रहे हैं नए कमरे
नॉर्थईस्ट जिले के 14 स्कूलों में 31,251 छात्रों का रजिस्ट्रेशन है, जोकि 83.5:1 के छात्र-कक्षा अनुपात को दिखा रहा है। इन स्कूलों में 88 'एक्ट्रा' कमरे भी हैं, जो पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, स्टाफ रूम, प्रयोगशालाएं, शौचालय, स्टोररूम और कार्यालय हैं। शिक्षा विभाग ने दावा किया कि क्लासरूम और नई बिल्डिंग को बनाने का काम चल रहा है। श्रीराम कॉलोनी में 14 जनवरी 2021 से 108 कमरों वाली एक नई इमारत का निर्माण चल रहा है।
जीजीएसएस मुस्तफाबाद में ज्यादा छात्रों की क्षमता वाली बिल्डिंग बनाई जा रही है, जहां अनुपात 124:1 है। वहीं जौहरीपुर के शिव विहार में 300 कमरों के साथ तीन स्कूल भवनों का निर्माण प्रस्तावित है। ये शिक्षा निदेशालय के पास है। इसी तरह, जौहरीपुर में सरकारी जूनियर स्कूल और बदरपुर खादर में सर्वोदय विद्यालय को इस सेशन से अलग कर दिया गया है।
हलफनामे में बताया गया है कि अनुपात को कम करने के लिए जूनियर क्लासों के छात्रों को 458 कमरों वाली स्कूल बिल्डिंग बनते ही वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद अनुपात 37.6 हो जाएगा और RTE मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित होगा।े
हालांकि, याचिकाकर्ता सोशल ज्यूरिस्ट का कहना है कि इस मामले में तुरंत राहत मिलनी चाहिए। वकील अशोक अग्रवाल ने कहा डीओई को उन स्कूलों में क्लासेस करने के लिए 9-12वीं तक के छात्रों के लिए बसों का इंतजाम करना चाहिए।