झारखंड: झमाझम बारिश के बावजूद प्यासे हैं तिलैया व पंचखेरो डैम, बिजली उत्पादन ठप
कोडरमा
चंद रोज के भीतर अच्छी बारिश होने के बाद नदियों में उफान आया है, लेकिन मानसून के शुरूआती दो महीने में पर्याप्त वर्षा नहीं होने से डैमों में पानी का पर्याप्त ठहराव नहीं हो पाया है। कोडरमा जिले में दो बड़े डैम पंचखेरो और तिलैया डैम है। दोनों में अभी भी पानी की स्थिति ठीक नहीं है। डीवीसी के तिलैया डैम का जलस्तर गेट लेवल से 16 फीट नीचे है। पिछले 12 सालों में यह सबसे निचले स्तर पर है। यही स्थिति कमोबेश दस वर्ष पहले साल 2010 में थी। सामान्य तौर पर हर वर्ष डैम में पानी अधिक होने के कारण गेट खोलना पड़ता था, लेकिन इसबार यहां पानी का स्तर गेट लेवल से काफी नीचे है। फिलहाल डैम का वाटर लेवल समुद्रतल से 1195.6 फीट है। 19 अगस्त से हो रही बारिश के बाद डैम में शनिवार शाम तक 15 सेंटीमीटर पानी का लेवल बढ़ा है। जून और जुलाई में भी तिलैया डैम में 1195 फीट पानी था। 19 अगस्त को जिले में 39 एमएम और 20 अगस्त को 63 एमएम वर्षापात रिकार्ड किया गया है।
16 फरवरी से है पनबिजली उत्पादन बंद
आमतौर पर प्रतिवर्ष गर्मी में तिलैया डैम स्थित पनबिजली उत्पादन जून से शुरू हो जाता था, लेकिन इसबार स्थिति विकट है। 21 अगस्त तक बिजली का उत्पादन शुरू नहीं हो पाया। इस वर्ष 16 फरवरी डैम का जलस्तर कम होने के बाद बिजली उत्पादन रोक दिया गया था। बिजली उत्पादन के लिए डैम का वाटर लेवल 1212 फीट होना जरूरी है। उल्लेखनीय होगा कि दामोदर घाटी निगम का तिलैया डैम देश के सबसे पुराने नदी घाटी परियोजनाओं में एक है। इसका निर्माण 1953 में पूरा हुआ था। आज भी इस डैम की स्थिति पूरी तरह से दुरुस्त है।
मरकच्चो के पंचखेरो में है 35 फीट पानी
वहीं, मरकच्चो के पंचखेरो डैम में भी पानी का पर्याप्त ठहराव नहीं हो पाया है। यह डैम वर्ष करीब 8 वर्ष पूर्व बनकर तैयार हुआ था। यहां वर्तमान में करीब 35 फीट पानी है, जबकि अगस्त में सामान्य तौर पर यहां 60 फीट पानी हुआ करता था। इसके बाद स्पेलवे से पानी नदी में निकल जाया करता था। लेकिन इसबार पानी का स्तर स्पेलवे से काफी नीचे है।