कांग्रेस नगर निकाय चुनावों का रास्ता कैसे करेगी पार, तैयारी पर गुटबाजी है हावी
आगरा
देश व प्रदेश की राजनीति में वजूद बचाने की जंग लड़ रही कांग्रेस की स्थिति नगर निकाय चुनाव में भी कुछ खास नजर नहीं आ रही है। गुटबाजी से जूझ रही पार्टी में अंदरूनी राजनीति हावी है। तैयारियों के नाम पर बैठकों से आगे बात नहीं बन पा रही है। संगठनात्मक चुनाव हुए लंबा वक्त बीतने के बावजूद पार्टी पदाधिकारियों की घोषणा नहीं कर सकी है।
वर्ष 2017 में हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस के केवल दो प्रत्याशी शिरोमणि सिंह और मनीष धाकड़ चुनाव जीतने में सफल रहे थे। कुछ प्रत्याशियों को नजदीकी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी की स्थिति यह थी कि वह सभी वार्डों में प्रत्याशी तक नहीं तलाश सकी थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी कुछ खास नहीं कर सके। नगर निकाय चुनाव के लिए वार्डों में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है, इससे राजनीतिक दल अभी कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। शहर कांग्रेस कमेटी ने नगर निकाय चुनाव को 100 में से करीब दो दर्जन वार्डों में वरिष्ठ नेताओं को प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी है। उम्मीदवारों की तलाश की जा रही है, लेकिन आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाने की वजह से यह काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
पार्टी ने बैठकों के दौर शुरू किए हैं, लेकिन पार्टी में गुटबाजी हावी का असर इसमें नजर आता है। कार्यक्रमों से पुराने पदाधिकारी गायब रहते हैं। जून में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद पदाधिकारियों की घोषणा भी नहीं हो सकी है। पदाधिकारियों की घोषणा के इंतजार में भी कार्यकर्ता शांत बैठे हैं। शहर अध्यक्ष देवेंद्र कुमार चिल्लू ने बताया कि निकाय चुनाव को पार्टी द्वारा वार्ड स्तर पर प्रभारी बनाए जा रहे हैं। अभी वार्डों के आरक्षण का इंतजार किया जा रहा है। पार्टी इस बार सभी वार्डों में चुनाव लड़ेगी। चार सितंबर को दिल्ली में महंगाई के खिलाफ महारैली होनी है। इसके बाद संगठनात्मक पदाधिकारियों की घोषणा की जाएगी।