लाखों ने घेरा US दूतावास, मुस्लिम एकता के नारे; गाजा पर पाक में बवाल
इस्लामाबाद
इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग को लेकर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में जोरदार प्रदर्शन हुए हैं। लाखों की संख्या में लोग अमेरिकी दूतावास के बाहर डटे रहे और जमकर इजरायल के खिलाफ नारेबाजी की। इजरायल से पाकिस्तान का कोई कूटनीतिक संबंध नहीं है और वह उसे एक देश के तौर पर मान्यता भी नहीं देता है। ऐसें इजरायल के विरोध में भीड़ अमेरिकी दूतावास के बाहर ही जुटी। फिलिस्तीनियों के समर्थन में नारेबाजी करती हुई भीड़ इजरायल और अमेरिका के खिलाफ भी बरसती दिखी।
इस दौरान जमात-ए-इस्लामी के नेता अमीर सिराजुल हक ने कहा कि गाजा का मसला हर मुसलमान से जुड़ा है। गाजा में अब तक इजरायली हमलों में 8000 से ज्यादा लोगों के मारे जाने के दावा किया जा रहा है। 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद इजरायल ने जवाबी ऐक्शन शुरू किया था। हमास ने इजरायल के 1400 लोगों का कत्ल कर दिया था और करीब 250 लोगों को किडनैप कर लिया था। इस्लामिक नेता सिराजुल हक ने एक और मार्च लाहौर में करने का ऐलान किया है और कहा कि इसमें 10 लाख से ज्यादा लोग जुटेंगे।
सिराजुल ने कहा, 'यदि अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है तो हम मुसलमान होने के नाते गाजा और फिलिस्तीन के साथ हैं।' फिलिस्तीन के लोगों को नरसंहार का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान सिराजुल हक ने लाखों की भीड़ को सरकार के खिलाफ भी उकसाया। उन्होंने कहा कि हमारे देश के सत्तानशीं लोग तो अमेरिका को ही संतुष्ट करने में जुटे हैं। वह डरते हैं और सुपरपावर को खुश रखना ही उनका एक मकसद है। एक अन्य इस्लामिक नेता ने कहा कि हमारा मजहब ही असली ताकत है।
'दुनिया के मुसलमान एक साथ आएं तो हारेंगे अमेरिका और इजरायल'
सिराजुल ने कहा कि इजरायल और अमेरिका हार जाएंगे। यदि हम पूरी दुनिया के मुसलमान एकजुट हो जाएं। हमारे नेता डरे हुए हैं। इन लोगों ने तो जिंदा शहरों को कब्रिस्तान बना दिया है। इस मार्च को इस्लामिक संगठनों ने गाजा मार्च का नाम दिया था। इस्लामिक संगठनों ने अमेरिकी दूतावास के ठीक बाहर आंदोलन की मांग की थी, लेकिन उन्हें इसकी परमिशन नहीं मिली। इसके बाद वे उसके ही आसपास लाखों की संख्या में जुटे और देर तक तकरीरें चलती रहीं। पाकिस्तान में अगले कुछ महीनों में ही चुनाव होना है। ऐसे में इजरायल का मसला हावी हो सकता है। इस्लामाबाद के अलावा दुनिया के कई देशों में मुसलमान सड़कों पर उतरे हैं। इनमें ब्रिटेन, तुर्की, कतर, मलयेशिया जैसे देश शामिल हैं।