मणिपुर में दहशत फैला रहे विदेशी? पुलिसकर्मी की हत्या के बाद हिरासत में लिए गए म्यांमार के 32 नागरिक
इंफाल
मणिपुर में पुलिस अधिकारी की हत्या के एक दिन बाद कम से कम 32 विदेशी हिरासत में लिए गए हैं। मामले से वाकिफ अधिकारियों ने कहा कि पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद दिन में घात लगाकर एक और हमला किया गया था। इसके बाद शुरू किए गए घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने बुधवार को मणिपुर के मोरे शहर से पूछताछ के लिए कम से कम 32 म्यांमार नागरिकों सहित 44 लोगों को हिरासत में लिया है।
मणिपुर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मंगलवार को तेंगनौपाल जिले में संदिग्ध आदिवासी उग्रवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी, जिसके बाद राज्य सरकार ने 'वर्ल्ड कुकी-जो इंटेलेक्चुअल काउंसिल' (डब्ल्यूकेजेडआईसी) को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित समूह घोषित करने की सिफारिश की है।
नाम न छापने के अनुरोध पर एक अधिकारी ने कहा, “पुलिस उनकी भूमिका की जांच कर रही है। विवरण [बुधवार] शाम को साझा किया जाएगा।” दोनों हमलों की जांच कर रहे अधिकारियों को संदेह है कि हमलावर म्यांमार भाग गए होंगे। सरकार का कहना है कि म्यांमार और बांग्लादेश के आतंकवादी समूह मणिपुर में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने प्रमुख मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा के पीछे की (विदेशी) साजिश की जांच के लिए एक मामला दर्ज किया है। यह हिंसा मई में शुरू हुई थी और जिसमें 178 लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इम्फाल के हाओबाम मराक इलाके के निवासी उपमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) चिंगथम आनंद की तब एक 'स्नाइपर' हमले में हत्या कर दी गई, जब वह पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा संयुक्त रूप से बनाये जाने वाले एक हेलीपैड के लिए ईस्टर्न शाइन स्कूल के मैदान की सफाई की देखरेख कर रहे थे।'' अधिकारियों ने कहा कि एसडीपीओ को मोरेह के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद इम्फाल-मोरेह राजमार्ग पर घटनास्थल की ओर जा रहे सुरक्षा बलों पर घात लगाकर किए गए हमले में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।