अपहरण मामले में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ कुर्की का नोटिस
बस्ती
बस्ती जिले की एमपी-एमएलए अदालत ने चर्चित कारोबारी रहे धर्मराज मद्धेशिया के बेटे राहुल मद्धेशिया के अपहरण के 22 साल पुराने मामले में आरोपी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ कुर्की का नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 16 नवंबर तय की है।
त्रिपाठी के अदालत में हाजिर नहीं होने और समन के बाद भी पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश नहीं करने पर न्यायाधीश प्रमोद कुमार गिरि ने बस्ती जिला पुलिस को कड़ी फटकार भी लगायी।
विशेष शासकीय अधिवक्ता देवानंद सिंह ने बताया कि छह दिसंबर 2001 को व्यापारी धर्मराज मद्धेशिया के बेटे राहुल का अपहरण हो गया था। इस मामले में थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप है कि लखनऊ के जिस मकान से अपहृत बालक मिला था वह अमरमणि का था। पुलिस ने इस मामले में अमरमणि समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया था।
सिंह ने बताया कि अदालत ने पिछले महीने 16 अक्टूबर को अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था। साथ ही बस्ती के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया था कि विशेष पुलिस टीम गठित कर आरोपी अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार करके एक नवंबर को न्यायालय में पेश करें। मगर पेशी वाले दिन अमरमणि की तरफ से उनके अधिवक्ता जंग बहादुर सिंह ने अपने मुवक्किल की बीमारी का हवाला देते हुए गैर जमानती वारंट वापस लेने का प्रार्थनापत्र दिया, जिसे न्यायालय ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वांछित अदालत में हाजिर नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि विशेष एमपी-एमएलए अदालत के न्यायाधीश प्रमोद कुमार गिरि ने अदालत के आदेश के बावजूद अमरमणि को हाजिर नहीं किये जाने पर पुलिस के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पुलिस जहां सामान्य गरीब अपराधियों के साथ अपेक्षा से ज्यादा प्रभावी पैरवी करती नजर आती है, वहीं प्रभावशाली दुर्दांत अपराधियों पर कार्रवाई से ठिठक क्यों जाती है? इस प्रकरण में बस्ती के पुलिस अधीक्षक की कार्यप्रणाली आपत्तिजनक है। पुलिस की अकर्मण्यता के कारण अभियुक्त फरार है।
विशेष शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने न्यायालय में पेश रिपोर्ट में कहा है कि अमरमणि को पकड़ने के लिये गोरखपुर स्थित 19-ए हुमायूंपुर दक्षिणी कोतवाली के पते पर दबिश डाली गयी लेकिन उसका पता नहीं चल पाया। मगर अदालत पुलिस के पक्ष से संतुष्ट नहीं हुई।
बाहुबली पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड मामले में अक्टूबर 2007 में उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी। अच्छे आचरण की वजह से उसकी बाकी की सजा को माफ कर दिया गया था और करीब 16 साल की सजा काटने के बाद उसे इसी साल अगस्त में जेल से रिहा कर दिया गया था।