नितिन गडकरी को BJP संसदीय बोर्ड से हटाने में RSS की थी सहमति, जानें शिवराज सिंह चौहन को क्यों किया बाहर
नई दिल्ली।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने कद्दावर नेता और नरेंद्र मोदी कैबिनेट में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पार्टी के संसदीय बोर्ड से हटाने का आश्चर्यजनक फैसला कर लोगों को चौंका दिया था। हालांकि, कहा जा रहा है कि इस निर्णय में आरएसएस नेतृत्व की भी सहमति थी। बीजेपी और संघ दोनों ही गडकरी के हालिया बयानों और टिप्पणी करने की प्रवृत्ति से नाराज था।
भाजपा के कई वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार संघ नेतृत्व ने भाजपा के पूर्व प्रमुख गडकरी को उनकी ऐसी टिप्पणी करने की प्रवृत्ति के खिलाफ आगाह किया था, जो उन्हें सुर्खियों में लाती हो और विरोधियों द्वारा इसका इस्तेमाल केंद्र सरकार और पार्टी को शर्मसार करने के लिए की जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, नितिन गडकरी ने संघ की बात को नजरअंदाज कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद आरएसएस नेतृत्व ने भाजपा नेतृत्व को सुझाव दिया कि पार्टी उन्हें संसदीय बोर्ड से हटाने सहित उचित कार्रवाई करे।
'अगर गडकरी नहीं रुके तो आगे और होगी कार्रवाई'
संघ के सख्त रुख ने भाजपा नेतृत्व की मदद की जो पहले से ही गडकरी के बयानों से नाराज चल रहा है। इसके बाद उन्हें पार्टी के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय से हटाने का मन बना लिया। सूत्रों ने कहा कि भाजपा और संघ नेतृत्व दोनों इस बात से सहमत है कि व्यक्ति चाहे किसी भी कद का क्यों ना हो उसे संगठनात्मक आचरण के नियमों के विरुद्ध जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।