अंबाह तहसील में ग्रामीणों से चर्चा में सीएम ने दिए संकेत, हालात बिगड़े तो आएंगे दो और हेलिकाप्टर
भोपाल
प्रदेश के चंबल संभाग में चंबल नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सरकारी जमीन पर आवासीय पट्टा देकर सरकार विस्थापित करेगी। हर साल गांधी सागर बांध और कोटा बैराज का पानी छोड़ने के कारण बरसात के मौसम में बनने वाले हालातों से निपटने के लिए सरकार यह फैसला करेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच आपसी सहमति बन चुकी है और जल्द ही कार्ययोजना तैयार कर नागरिकों की सहमति से उन्हें सरकारी जमीन पर ऊंचे स्थानों पर बसाया जाएगा ताकि बरसात में डूब की स्थिति से राहत दिलाई जा सके। सीएम चौहान ने इसके संकेत बुधवार को चंबल संभाग के मुरैना जिले में अम्बाह तहसील में ग्रामीणों से चर्चा के दौरान दिए हैं।
बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों से चर्चा में सीएम चौहान ने कहा है कि चंबल में बाढ़ की समस्या प्रतिवर्ष की है। चंबल के किनारे रहने वाले अगर सहमत हो जाएं तो उन्हें सरकारी जमीन पर बसाया जा सकता है। इसके लिए भी कार्ययोजना बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे स्थानों पर लोगों को आवास निर्माण करने की मदद भी प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही बिजली, पानी और मूलभूत सुविधाएं भी सरकार मुहैया कराएगी। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्रीय मंत्री तोमर से भी चर्चा हुई है, वे स्वयं भी लोगों के बीच पहुंचकर चर्चा करेंगे। केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार मदद में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने मुरैना, भिण्ड और श्योपुर जिले के कलेक्टरों से कहा कि अगर चंबल में पानी का जल स्तर बढ़ता है तो हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें। अगर रेस्क्यू के लिये हेलीकॉप्टर की आवश्यकता पड़ती है तो दो हेलीकॉप्टर और आ जाएंगे। जहां बोट उपलब्ध हैं, उनसे लोगों को निकाला जाए। उन्होंने कहा कि जल संसाधन की रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार को बाढ़ की स्थिति नॉर्मल हो जाएगी। गांधी सागर के सभी गेट बंद कर दिए गए हैं। गौरतलब है कि चंबल का जलस्तर अत्यधिक बढ़ने से 40 ग्राम मजरा टोले के 718 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इन सभी 718 बाढ़ प्रभावितों को विस्थापित करने के लिए 16 जन राहत शिविर लगाये गये है।
718 लोग हुए प्रभावित
गौरतलब है कि चंबल का जलस्तर अत्यधिक बढ़ने से 40 ग्राम मजरा टोले के 718 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इन सभी 718 बाढ़ प्रभावितों को विस्थापित करने के लिए 16 जन राहत शिविर लगाये गये है। शिविरों में सभी बाढ़ प्रभावितों को भोजन, पानी, पशुओं के लिए चारा आदि की व्यवस्था की गई है।