मप्र: छतरपुर में हैंड पंप से निकल रही है आग, पास जाने से भी कतरा रहे हैं लोग
छतरपुर
बक्सवाहा से 10 किमी दूर कछार गांव का हैंडपंप को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। दरअसल इस खेत में लगे इस हैंडपंप से पिछले एक साल से आग निकल रही है। जब आग लगने की पहली घटना सामने आई तो लोगों ने इसे दैवीय प्रकोप माना, लेकिन जब प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा तो पता चला कि पानी के साथ मीथेन गैस निकलती है, जिससे आग की लपटें निकलती हैं। यहां के ग्रामीण अभी भी हैंडपंप के पास जाने से कतरा रहे हैं। बता दें कि बक्सवाहा कभी हीरों की खोज के लिए सुर्खियों में रहा करता था।
पिछले एक साल से आग उगल रहा है हैंडपंप
गांव में दो हैंडपंप लगे हुए हैं, कछार गांव निवासी राजू यादव का कहना है कि ग्रामीण इनसे पानी निकालते हैं। यहां एक खेत में लगा हैंडपंप पिछले एक साल से पानी के साथ आग उगल रहा है। राजू यादव का कहना है कि कहीं न कहीं मैदान के अंदर बड़ी हलचल है। इस मामले की जानकारी ग्रामीणों ने पुलिस और स्थानीय अधिकारियों को दी।
बड़ी मात्रा में निकल रही है मीथेन गैस
तब प्रशासनिक अमले ने आकर जांच कराई थी और बताया था कि हैंडपंप से पानी के साथ बड़ी मात्रा में मीथेन गैस निकलती है। इससे आग की लपटें आती हैं, जिसके बाद अधिकारियों ने हैंडपंप को बंद करने के लिए हाथ हटाया, लेकिन हैंडपंप पूरी तरह से बंद नहीं हुआ। इससे अभी भी हैंडपंप के पानी से आग की लपटें निकलती हैं।
भौतिक-रासायनिक प्रक्रिया
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोई दैवीय प्रकोप नहीं है। कई स्थानों पर भूमिगत हाइड्रोकार्बन मीथेन गैस है, जो दलदली क्षेत्रों में तलछटी चट्टानों में वनस्पति के तलछट (बारीक रेत) के साथ जमा होती है। इससे यहां भौतिक-रासायनिक प्रक्रिया द्वारा मीथेन गैस का निर्माण होता है। इस गैस को गर्म करने या जलाने से घनत्व में कमी आती है। इससे इस गैस के नीचे का भूजल ऊपर की ओर आ जाता है। बक्सवाहा में तलछटी चट्टानें, बलुआ पत्थर, शेल आदि पाए जाते हैं। इसके प्रमाण पूर्व में भी मिल चुके हैं।