मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
भोपाल
सड़कों से ज्यादा सुरक्षित देश की सीमाएं होती है, ठीक वैसे ही जेल से ज्यादा सुरक्षित अस्पताल होता है। हर व्यक्ति में सुधार की प्रबल संभावना बनी रहती है। इसी को लेकर सुधारगृह बनाया गया है। जेलों से जहां हर साल कैदी अपनी सजा काटकर समाज की मुख्यधारा में खुद को स्थापित करता है तो वहीं कुछ कैदी अपने अच्छे आचरण के चलते सजा पूरी होने से पहले ही सलाखों से बाहर आ जाते है।
लेकिन जेल में कुछ ऐसे भी कैदी होते है जो सजा काटने के लिए जाते है लेकिन सजा काटने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है। लेकिन कभी- कभी मनुष्य का पाप इतना बड़ा हो जाता है कि उसके सुधरने से पहले ही भगवान उसे सुधार देता है। जीं हां …. हम बात कर रहे है प्रदेश के विभिन्न जेलों में सजा काट कैदियों की। प्रदेश के विभिन्न जेलों में सजा काट कैदियों की बात करें तो सलाखों के पीछे रहते हुए कैदियों की ज्यादा मौत हुई है।
वहीं जेल की अपेक्षा अस्पतालों में कैदियों की मौत कम हुई है। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट की माने तो 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 के बीच प्रदेश में अब तक 188 कैदियों की मौत हो चुकी है। जिसमें से जेल में 120 कैदियों ने जहां अपनी जान गवांई है तो वहीं इलाज के दौरान प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में 54 कैदियों की मौत हो चुकी है। जीवन का दूसरा पहलू ही मौत है। जादूगर हो या डॉक्टर मौत को कोई भी शख्य चकमा नहीं दे सकता है। लेकिन सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह सामने आयी है कि पुलिस अभिरक्षा में प्रदेश में एक साल के अंदर 14 कैदियों की मौत हो चुकी है।
नवंबर का महीना सबसे अधिक भारी
वैसे देखा जाए तो सजा काट रहे कैदियों के लिए सभी महीना एक जैसा ही होता है। लेकिन नवंबर का महीना कैदियों के लिए सबसे अधिक भारी रहा। क्योंकि इस महीने में प्रदेश के विभिन्न जेलो और अस्पतालों में सबसे ज्यादा 29 कैदियों की मौत हुई है। जिसमें पुलिस अभिरक्षा में जहां 3 कैदियों ने अपनी जान गवांई तो वहीं सलाखों के पीछे 18 कैदी अंतिम सांस लिए। जबकि उपचार के दौरान 8 कैदी मर गए।