बिना ड्रेस, बैग और जूते-मोजे के स्कूल आने को मजबूर बच्चे, नोएडा-ग्रेनो में DBT के इंतजार में हैं 21 हजार छात्र
ग्रेटर नोएडा
प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले जिले में सरकारी योजना का लाभ परिषदीय स्कूलों के छात्रों को नहीं मिल रहा है। शिक्षा माफिया की कालाबाजारी रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने छात्रों के अभिभावकों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से ड्रेस, बैग, जूते-मोजे और अन्य सामग्री खरीदने के लिए 1200 रुपये भेजने का निर्णय लिया था। लेकिन इस योजना का लाभ छात्रों को नहीं मिल पा रहा है।
जिले के चारों ब्लॉक के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 21 हजार छात्रों के अभिभावकों के खातों में 1200 रुपये नहीं पहुंचे है। वर्तमान सत्र के करीब आठ महीने बीत जाने के बाद भी छात्रों को ड्रेस, जूते-मोजे और स्टेशनरी के रुपये नहीं मिले है। पिछले सत्र में भी करीब 10 हजार छात्र योजना से वंचित रह गए थे। उसके बाद भी विभाग के अधिकारियों ने सबक नहीं लिया। डीबीटी के माध्यम से रुपये नहीं आने के कारण छात्रों को बिना ड्रेस के स्कूल आना पड़ रहा है। विभाग से मिली सूचना के अनुसार, सबसे अधिक बिसरख ब्लॉक के छात्र योजना से वंचित है। करीब 16 हजार छात्रों का अभी बैच ही नहीं बनाया गया है। इसके साथ ही 3500 छात्रों के अभिभावकों के खाते बैंक से सीडेड नहीं है। स्कूलों में आधार कार्ड बनने का दावा करने वाले विभाग की पोल करीब 1500 छात्र खोल रहे है।
योजना को गंभीरता से नहीं ले रहा विभाग
प्रदेश सरकार की ओर से शुरु की गई डीबीटी योजना को विभाग की ओर से गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। गंभीरता से नहीं लिए जाने से गरीब छात्रों को काफी नुकसान हो रहा है। हाल ही में महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को लापरवाही करने वाले कर्मियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद भी स्थिति खराब है।
सर्दी में बिना स्वेटर पहुंचेंगे छात्र
परिषदीय स्कूलों के छात्रों के हिसाब से सर्दी का मौसम शुरु हो गया है,लेकिन अभिभावकों के खातों में 1200 रुपये नहीं आने के कारण वह बिना स्वेटर,जूते,मोजे के स्कूल पहुंच रहे है। कई स्कूलों में करीब 30 से 40 प्रतिशत छात्रों के पास स्कूल की ड्रेस तक नहीं है। वह कलर ड्रेस में स्कूल पहुुंच रहे है।