September 27, 2024

वसुंधरा का तीन कारणों से राजस्थान में खत्म हुआ ‘राजे राज’, अब क्या होगी वसुंधरा की भूमिका?

0

जयपुर.

राजस्थान में नौ दिन चल रही सियासी उथल-पथुल मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम के नामों के एलान के साथ ही खत्म हो गई। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा होंगे। वहीं, डिप्टी सीएम की कुर्सी पर दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा बैठेंगे। यानी, राजस्थान में 2003 से शुरू हुआ वसुंधरा राजे का राज 20 साल बाद खत्म हो गया। इस दौरान राजे दो बार 2003 और 2013 में प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। लेकिन, 2023 के चुनाव में भाजपा की जीत के बाद वे प्रदेश की मुख्यमंत्री नहीं बन पाईं। तीन कारणों से समझते हैं भाजपा ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया और अब वे किस भूमिका में नजर आ सकती हैं…?

वो तीन कारण जिससे राजे ने गंवाई सीएम की कुर्सी —————
भाजपा में बने कई गुट, पार्टी की छवि को हो रहा था नुकसान
राजस्थान में भाजपा की एकजुटता पर लंबे समय से सवाल उठते आ रहे थे। पार्टी में कई गुट बन गए थे, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान हो रहा था। वसुंधरा राजे और पार्टी आलाकमान के बीच मनमुटाव की खबरें भी विधानसभा चुनाव से पहले सामने आईं थी। भाजपा की गुटबाजी पर कांग्रेस नेता भी हमलावर रहते थे। ऐसे में इस गुटबाजी को खत्म करने के लिए भी यह बदलाव किया गया है।

भाजपा का लोकसभा चुनावी मोड आया वसुंधरा राजे के आड़े
2023 में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को लोकसभा का सेमीफाइनल कहा जा रहा था। तीन दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में भाजपा को तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बहुमत मिला। इन तीनों ही राज्यों में पीएम नरेंद्र मोदी के चहरे पर चुनाव लड़ा गया था। ऐसे जीत का ताज भी उनके ही सर पर रखा गया। उधर, लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम बनाकर कई अन्य राज्यों में भी जातिगत समीकरण साधना चाहती थी। इसमें राजे कहीं भी फिट नहीं बैठ रहीं थीं, इस कारण उनकी विदाई हो गई।

मुख्यमंत्री रहते भाजपा की वापसी नहीं करा पाईं राजे
वसुंधरा राजे 2003 में पहली बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। पांच साल सरकार चलाने के बाद भाजपा चुनाव मैदान में गई तो हार का सामना करना पड़ा। जनता ने भाजपा को खारिज कर दिया। 2013 के चुनाव में में भाजपा ने राजस्थान में वापसी की और एक बार फिर राजे को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली। 2018 के चुनाव में भाजपा को फिर हार का मुंह देखना पड़ा। यानी राजे मुख्यमंत्री रहते हुए राजस्थान में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस सरकार होने का रिवाज नहीं बदल पाईं। वहीं, भाजपा की रणनीति है कि प्रदेश में 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह रिवाज बदला जाए। जैसा मप्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात समेत अन्य राज्यों में हुआ है।

आगे किस भूमिका में नजर आएंगी वसुंधरा राजे
वसुंधरा राजे वर्तमान में झालरापाटन से विधायक हैं और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। संगठन में उनका कद पहले से मजबूत है, ऐसे में यहां उनके लिए कोई और जगह बनेगी ये मुश्किल नजर आता है। वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सांसद है, ऐसे में उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने की संभावना न के बराबर है। हालांकि, ये जरूर हो सकता है कि राजे को केंद्र में बुलाने के लिए उनके बेटे की जगह चुनाव लड़ाया जाए और दुष्यंत को उपचुनाव के जरिए विधानसभा भेज दिया जाएगा। दूसरी संभावना ये है कि आने वाले समय में वसुंधरा राजे को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *