ईसाई धर्म का प्रसार करने के लिहाज से मैं सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रपति नहीं हो सकता: रामास्वामी
ईसाई धर्म का प्रसार करने के लिहाज से मैं सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रपति नहीं हो सकता: रामास्वामी
वाशिंगटन
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के रिपब्लिकन उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने कहा है कि वह अपनी हिंदू आस्था के कुछ मूलभूत सिद्धांतों को 'यहूदी-ईसाई मूल्यों' के साथ जोड़ते हैं लेकिन वह ईसाई धर्म का प्रसार करने के लिए सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रपति नहीं होंगे।
भारतीय मूल के 38 वर्षीय अरबपति बायोटेक कारोबारी ने लोवा में सीएनएन के एक टाउनहॉल में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने अपने धर्म, आव्रजन, सीमा सुरक्षा और आर्थिक असमानता के विषयों पर प्रश्नों के उत्तर दिए।
एक श्रोता ने रामास्वामी से उन लोगों की धारणा के बारे में पूछा जिनका मानना है कि वह उनके राष्ट्रपति नहीं बन सकते क्योंकि उनका धर्म वह नहीं है जिसके आधार पर हमारे पूर्वजों ने इसे आगे बढ़ाया था।
रामास्वामी ने उत्तर में कहा, ''वह इस बात को विनम्रता के साथ खारिज करते हैं।'' उन्होंने कहा कि वह अपनी हिंदू आस्था के कुछ मूलभूत सिद्धांतों को लोवा के अनेक मतदाताओं के ''यहूदी-ईसाई मूल्यों'' से जोड़ते हैं। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि वह ईसाई धर्म का प्रसार करने के वास्ते सबसे अच्छे राष्ट्रपति नहीं होंगे।
जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने से संरा को सुधारों के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए : भारत
संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने कहा कि अपनी अध्यक्षता में जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को शामिल करने की भारत की पहल सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे ''बहुत ज्यादा पुराने'' संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समकालीन बनाने के लिए प्रेरित होना चाहिए।
कम्बोज ने सुरक्षा परिषद सुधारों पर अंतरसरकारी वार्ता में कहा कि भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ इस साल सितंबर में नयी दिल्ली में हुए शिखर सम्मेलन में जी20 का स्थायी सदस्य बन गया। उन्होंने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने से यह सुनिश्चित हुआ है कि ''वैश्विक शासन और निर्णय निर्धारण के प्रभावशाली संस्थान में 'ग्लोबल साउथ' की महत्वपूर्ण आवाज जुड़े।'' 'ग्लोबल साउथ' शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
भारतीय राजदूत ने कहा, ''सुधार की दिशा में इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को भी समकालीन बनाने के लिए प्रेरित होना चाहिए। व्यापक प्रतिनिधित्व आखिरकार, प्रभावशीलता और विश्वसनीयता दोनों के लिए एक शर्त है।'' उन्होंने कहा कि यह भारत का दृढ़ विश्वास है कि जी20 में अफ्रीका की पूर्ण भागीदारी से यह समूह सही मायने में अधिक प्रतिनिधित्व वाला और प्रासंगिक संस्थान बनेगा।
कम्बोज ने कहा कि सितंबर 2024 में होने वाला 'समिट ऑफ द फ्यूचर' संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति ''हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और सुरक्षा परिषद समेत महासभा में सुधार पर केंद्रित चार्टर की समीक्षा'' का एक ''स्वर्णिम अवसर'' उपलब्ध कराता है। उन्होंने याद किया कि इस साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक उच्च स्तरीय सत्र के दौरान 85 से अधिक वैश्विक नेताओं ने महासभा से व्यापक और सार्थक सुधारों की मांग की। गौरतलब है कि भारत सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए लंबे समय से किए जा रहे प्रयासों में अग्रणी रहा है।
ग्रेटा गेरविग को 77वें कान फिल्म महोत्सव के लिए निर्णायक मंडल प्रमुख नियुक्त किया गया
लॉस एंजिलिस
कान फिल्म महोत्सव ने अपने 77वें संस्करण के लिए अभिनेत्री और फिल्म निर्देशक ग्रेटा गेरविग को निर्णायक मंडल अध्यक्ष नियुक्त किया।
मनोरंजन समाचार पोर्टल 'डेडलाइन' की रिपोर्ट में गेरविग को 'आधुनिक समय की नायिका' कहा गया, जिसने 'यथास्थिति' को बदलकर रख दिया था। फिल्म महोत्सव के आयोजकों ने सुबह यह खबर साझा की।
गेरविग, कान फिल्म महोत्सव में निर्णायक मंडल की अध्यक्ष की भूमिका निभाने वाली पहली अमेरिकी महिला निर्देशक बन जाएंगी, वहीं दूसरी अमेरिकी महिला होंगी। उनसे पहले 1965 में अभिनेत्री ओलिविया डि हैविलैंड निर्णायक मंडल की अध्यक्ष रह चुकी हैं।
उन्होंने कहा, "अनजान जगह पर रहना, अजनबियों से भरे अंधेरे थिएटर में, एक बिल्कुल नई फिल्म देखना मेरी पसंदीदा जगह है। मैं कान फिल्म महोत्सव के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष के रूप में काम करने को लेकर बेहद रोमांचित हूं। एक सिनेमा प्रेमी के रूप में फिल्मों की सार्वभौमिक भाषा क्या हो सकती है, कान हमेशा से इसका केंद्र बिंदु रहा है।"
गेरविग, फिल्म महोत्सव के निर्णायक मंडल की अध्यक्ष बनने वाली दूसरी महिला निर्देशक होंगी, इससे पहले 2014 में न्यूजीलैंड की जेन कैंपियन इसकी अध्यक्ष बनीं थी।