राजस्थान में कैसी होगी कैबिनेट, नड्डा और शाह की मौजूदगी में मंथन, नए चेहरों को मौका?
जयपुर.
राजस्थान में नई सरकार के गठन के बाद भाजपा में कैबिनेट को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और उनके दो डिप्टी अपने पहले दौरे पर रविवार को दिल्ली पहुंचे। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार शाम को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई वरिष्ठ भाजपा नेता मौजूद थे।
सूत्रों की मानें तो इस बैठक में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने राज्य से संबंधित शासन और राजनीतिक मसलों की जानकारी ली। माना जा रहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा संभावित नामों की लिस्ट लेकर दिल्ली पहुंचे हैं। नामों पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की मुहर लगने के बाद मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा जयपुर लौटेंगे। इसके बाद सूबे में नए मंत्रिमंडल का ऐलान किया जाएगा। भजनलाल की कैबिनेट में किन चेहरों को जगह मिल सकती है, इसको लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा सूबे की कैबिनेट में नए और पुराने चेहरों के साथ तालमेल बिठा सकती है। राजस्थान मंत्रिमंडल में 27 पद हैं। माना यह भी जा रहा है कि राजस्थान में भजनलाल शर्मा की कैबिनेट में पहली बार विधायक चुनकर आए नेताओं को भी जगह मिल सकती है। कैबिनेट में जातिगत संतुलन को भी साधा जा सकता है। यही नहीं क्षेत्रीय संतुलन को भी साधा जा सकता है। हालांकि यह बेहद चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि सीएम और दोनों डिप्टी सीएम जयपुर से हैं। कैबिनेट में जिन नामों को जगह मिलने की संभावना बताई जा रही है उनमें बाबा बालक नाथ, सिद्धि कुमारी, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, कैलाश वर्मा को जगह दी जा सकती है।
सूबे की कैबिनेट में पुष्पेंद्र सिंह राणावत, दीप्ति किरण माहेश्वरी, जोगेश्वर गर्ग, हीरालाल नागर, जवाहर सिंह बेडम को भी जगह दी जा सकती है। अजय सिंह किलक, महंत प्रतापपुरी, हंसराज पटेल, भैराराम सियोल, हेमंत मीणा, प्रताप सिंह सिंघवी, ताराचंद जैन, फूलसिंह मीणा को भी जगह मिल सकती है। वैसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की खासियत है कि वह अपने निर्णयों में तमाम पूर्वानुमानों को ध्वस्त करता रहा है। फिर भी माना जा रहा है कि कैबिनेट में सभी वर्गों को साधने की कोशिश की जाएगी। ऐसे में जब कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनावों का बिगुल बजने वाला है कैबिनेट के गठन को बेहद अहम माना जा रहा है। क्षेत्रीय संतुलन को साधना बेहद चुनौती पूर्ण होने वाला है।