शिवराज दक्षिण में करेंगे BJP का विस्तार… वसुंधरा के सामने क्या हैं ऑप्शन?
जयपुर
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नए चेहरों को आगे कर दिया. मध्य प्रदेश में चुनाव के समय मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव को सीएम बनाया गया. राजस्थान में वसुंधरा राजे को किनारे कर पार्टी ने भजनलाल शर्मा और छत्तीसगढ़ में डॉक्टर रमन सिंह की बजाय विष्णुदेव साय पर दांव लगाया. साल 2003 में विधानसभा चुनाव के बाद रमन और वसुंधरा ने लगभग एक ही समय छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार की कमान संभाली थी. शिवराज 2005 में मध्य प्रदेश के सीएम बने थे. 2023 के चुनाव नतीजे आने के बाद से ही ये चर्चा तेज हो गई थी कि शिवराज, रमन और वसुंधरा का सियासी भविष्य क्या होगा?
छत्तीसगढ़ में नए सीएम के नाम के साथ ही एक ऐलान और हुआ. ये ऐलान था रमन को लेकर. तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री को बीजेपी ने स्पीकर के आसन पर आसीन कर दिया. हाल ही में शिवराज की भी जेपी नड्डा से मुलाकात हुई और इस मुलाकात के बाद बीजेपी ने उन्हें दक्षिण के राज्यों में पार्टी के विस्तार का जिम्मा सौंप दिया है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद शिवराज ने जानकारी दी थी कि विजय संकल्प यात्रा में मुझे अभी कुछ जगहों पर जाने को कहा जाएगा. दक्षिण भारत के राज्यों में जाऊंगा. शिवराज के सामने बीजेपी की सियासत के लिहाज से सूखी रही दक्षिण भारत की जमीन पर कमल खिलाने का मुश्किल टास्क है.
पहले रमन सिंह को पार्टी ने स्पीकर बनाकर सेट कर दिया तो अब शिवराज को भी दक्षिण भारत में विजय संकल्प यात्रा के लिए जिम्मेदारी देकर एक तरह से एडजस्ट कर दिया. अब केवल राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही बच गईं. वसुंधरा राजे पहले से ही बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. कहा ये भी जा रहा है कि वसुंधरा के पास पहले से ही संगठन में जिम्मेदारी है. उन्हें कुछ और मिलेगा, इसकी संभावनाएं फिलहाल नजर नहीं आ रहीं. साथ ही ये संभावनाएं भी जताई जा रही हैं कि वसुंधरा को केंद्र में मंत्री भी बनाया जा सकता है. वसुंधरा के लिए अब क्या संभावनाएं हैं?
संभावना-1: क्या वसुंधरा को केंद्र में मंत्री पद मिलेगा?
वसुंधरा राजे दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री हैं. उनके पास राज्य में सरकार चलाने का 10 साल का अनुभव है ही, वह केंद्र में भी मंत्री रही हैं. वसुंधरा राजे राजस्थान का सीएम बनने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री रही थीं. वसुंधरा के प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए यह संभावनाएं जताई जा रही हैं कि बीजेपी हो सकता है उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री बना दे. लेकिन एक दूसरा पहलू ये भी है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वसुंधरा राजे जैसी पॉपुलर और ताकतवर चेहरे को अपनी कैबिनेट में जगह देंगे?
संभावना-2: क्या वसुंधरा राजस्थान से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी?
राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं. 2019 में बीजेपी ने सूबे की 25 में से 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और हर सीट पर जीत भी पाई थी. बीजेपी ने आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था. बदले हालात में क्या वसुंधरा फिर से संसद में नजर आएंगी? चर्चा ये भी है कि वसुंधरा को उनकी पुरानी सीट बारां-झालावाड़ से बीजेपी चुनाव में उतार सकती है. फिलहाल, इस सीट से वसुंधरा के बेटे दुष्यंत सांसद हैं.
संभावना-3: क्या वसुंधरा को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है?
राजस्थान के पिछले चुनाव में बीजेपी को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, तीनों ही राज्यों में मात मिली थी. तब बीजेपी ने तीनों राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था. शिवराज 15 महीने फिर से मुख्यमंत्री बन गए थे तो वहीं अब रमन छत्तीसगढ़ विधानसभा के स्पीकर बन चुके हैं.
वसुंधरा ही हैं जो इस समय भी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर हैं. वसुंधरा के पास संगठन में पहले से ही बड़ा पद है. ऐसे में एक संभावना यह भी है कि लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे जाए.लेकिन दूसरा पहलू ये भी है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी पटरी नहीं बैठती. ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या यह संभावना बनेगी?
संभावना-4: क्या वसुंधरा मात्र विधायक बनकर चुपचाप काम करती रहेंगी?
वसुंधरा राजे को अगर बीजेपी ने कहीं एडजस्ट नहीं किया तो क्या वह महज एक विधायक के रूप में पार्टी के प्रति समर्पित सिपाही की तरह शांति से काम करती रहेंगी? वसुंधरा जैसे तेवर वाली नेता के लिए ये संभावना नहीं के बराबर ही है. अगर ऐसा हुआ तो एक तरह से वह नेपथ्य में चली जाएंगी और इस बात की संभावना ना के बराबर ही है कि वसुंधरा जैसी एक्टिव नेता इस विकल्प का चयन करे. हालांकि, वसुंधरा अब 72 साल की हो चुकी हैं. उम्र के पहलू को देखते हुए ये भी चर्चा है कि वह अपने बेटे के लिए किसी बड़ी भूमिका की कीमत पर शायद कम सक्रियता वाली कोई भूमिका भी स्वीकार कर लें जो उनके कद के मुताबिक न हो.