निजी मेडिकल कॉलेजों की एमडी-एमएस की आधी सीटों पर सरकारी कॉलेजों के बराबर फीस
ोपाल
प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की एमडी-एमएस की आधी सीटों पर इस सत्र से प्रदेश के सरकारी कॉलेजों के बराबर फीस लगेगी। बाद में एमबीबीएस में भी इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। मेडिकल कॉलेजों की राष्टÑीय नियामक संस्था नेशनल मेडिकल कमीशन एनएमसी के निर्देश के बाद चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इसकी तैयारी कर ली है। प्रदेश के निजी और सरकारी मेडिकल कालेजों में एमडी – एमएस (पीजी कोर्स) में प्रवेश के लिए एक सितंबर से पंजीयन शुरू करने की तैयारी है। पंजीयन कराने वाले उम्मीदवारों की मेरिट तैयार की जाएगी। पसंदीदा सीट का विकल्प देने के दौरान वह निजी कॉलेजों में दोनों तरह की सीट का विकल्प दे सकेंगे। मेरिट के आधार पर उन्हें सीटें आवंटित की जाएंगी। सरकारी कॉलेजों के तीन साल के इस पीजी कोर्स में एक साल की फीस एक लाख 18 हजार रुपए होती है। जबकि निजी कॉलेजों में अलग-अलग विषयों के अनुसार सात लाख से लेकर 12 लाख रुपए प्रतिवर्ष तक लगते हैं।
सात निजी कॉलेजों में 636 सीटें
प्रदेश के सात निजी कॉलेजों में एमडी-एमएस पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है। इनमें 157 सीटें एनआरआइ कोटे की हैं। एनआरआइ सीटों को छोड़ बाकी में आधी सीटों पर प्रवेश और फीस विनियामक समिति द्वारा तय फीस और आधी में सरकारी कॉलेजों के लिए तय फीस पर प्रवेश होंगे। सात सरकारी कॉलेजों में भी एमडी-एमएस होता है। एक निजी कॉलेज के संचालक का कहना है कि 50 प्रतिशत सीटों पर सरकारी कॉलेजों के बराबर फीस देकर पढ़ाई कराने का निर्णय डीम्ड यूनिवर्सिटी के लिए था। इस संबंध में हमे कोई निर्देश अभी नहीं मिले हैं।