गांव वालों ने नाले पर बना दिया ‘बांस का पुल’, रामायाण के ‘नल-नील’ से ली प्रेरणा
सागर
छतरपुर जिले के गुणपारा गांव के लोगों को बारिश के दौरान सबसे बड़ी समस्या थी, उफनते नाले को पार कैसे करें, बच्चे 4 महीने स्कूल कैंसे जाएं, 15 किलोमीटर का सफर कैसे कम हो? गांव के लोगों ने अपने तरीके से हल ढूढ़ातो उन्हें उन्हें "रामायण" में समस्या का हल मिल ही गया। वानर सेना में नल-नील ने समुंदर पर पुल बांध दिया था तो ग्रामीणों ने सोचा कि महज 25 फीट के नाले पर क्या हम पुल नहीं बना सकते़? फिर क्या था, सभी ग्रामीण इकट्ठे हुए और बांसों से पुल बनाने की योजना बनाई। मेहतन सफल हुई और 10 दिन की मेहतन से उफनते नाले पर बांस-बल्लियों को रस्सियों से जोड़कर पुल बना डाला। गांव के हर व्यक्ति ने नल-नील बनकर पुल बनाने में योगदान दिया है।
दशकों से बारिश में करीब 25 फीट चौड़ा नाला ग्रामीणों का रास्ता बंद कर देता है
मप्र के छतरपुर जिले की बिजावर विधानसभा के तहत गुणपारा गांव आता है। यहां दशकों से बारिश के सीजन में करीब 25 फीट चौड़ा नाला ग्रामीणों का रास्ता बंद कर देता है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, किसान खेत नहीं जा पाते। सैकड़ों लोग महज 25 फीट चौड़े नाले के कारण महीनों गंाव में फंस जाते हैं। यदि जाना ही हो तो 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर सामने के गांव पहुंच पाते थे। बारिश में चार महीने नाले में पानी रहता है, इस कारण बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है। ग्रामीणों ने दृढ़ निश्चय किया और नाले पर बांस-बल्लियां बांधकर 25 फीट चौड़ाअस्थाई पुल बांध दिया।
नेता, जनप्रतिनिधि व अधिकारियों से सिर्फ आश्वासन मिले
गुणपारा गांव में नाले पर पुल बनवाने के लिए कई सालों से ग्रामीण नेताओं, विधायक, अधिकारियों के चक्कर काट चुके हैं। आवेदन, ज्ञापन दे चुक हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा उन्हें कुछ नहीं मिला। ग्रामीणों ने तंग आकर बीते दिनों खुद की समस्या का हल तलाशने का प्रयास किया तो उन्हें लगा कि जब तक पुल नहीं होगा, हमारी समस्या जस की तस बनी रहेगी, इस कारण हमें ही कुछ करना होगा। गांव के एक पर्यावरण से जुड़े व्यक्ति ने बांस का पुल बनाने का विचार रखा और अपने खेत में लगे बांस काटना शुरु ही कर दिया। बाद में ग्रामीण भी उनके साथ जुट गए और महज 10 दिन के अथक परिश्रम से नाले के उपर बांस का अस्थाई पुल बना डाला।
दिदौनिया बांध बनने के बाद नाले में सालभर पानी रहता है
बिजावर इलाके में गांव से नजदीक दिदौनिया बांध बनाया गया है, इसके कारण बारिश में यह नाला लबालब भरा रहता है। इसमें चार महीने भरपूर पानी रहता है। गुणवारा में करीब 15 साल से यह समस्या है। बारिश के दौरान स्कूली बच्चों, किसानों और अन्य काम से नाले के पार जाने वालों का रास्ता रोककर यह नाला उफनता रहता है। वर्तमान बिजावर विधायक राजेश शुक्ला ने भी उन्हें पुल बनवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन कार्यकाल के चार साल बीतने के बाद भी पुल नहीं बन सका।
किसानों ने महज 10 दिन में बना डाला पुल
नाले पर अस्थाई पुल बनाने का निर्णय सबसे पहले देवीदीन कुशवाहा ने लिया था। पहले तो ग्रामीणों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन बाद में सब उनके साथ आ गए। देवीदीन ने अपने खेत में लगे बांस को काटना शुरु कर दिया था। ग्रामीणों को जब समझ आया कि अस्थाई रुप से इससे अच्छा हल नहीं हो सकता है। जब वानर सेना समुंदर पर पुल बांध सकती है तो क्या हम नाले पर बांस का पुल नहीं बना सकते, फिर क्या था, सभी आगे आए तो और मेहनत का फल उनके सामने पुल के रुप में है।
गांव के बच्चे अब रोज स्कूल जा रहे हैं
गुणपारा गांव के बच्चे नाला पार करीब 3 किलोमीटर दूर पारवा गांव के स्कूल में पढ़ने जाते हैं। बारिश में उनके लिए मुसीबत हो जाती है। स्कूल जाना बंद हो जाता है। दूसरा रास्ता 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर जाना होता है। बारिश के मौसम में नाला उनकी स्कूल और पढ़ाई के बीच सबसे बड़ी बाधा बन जाता है। बांस का पुल बनने के बाद अब बच्चे रोज स्कूल जा पा रहे हैं।
एक साथ 20 लोग तक निकल रहे हैं
गुणपारा के ग्रामीणों ने बांस-बल्ल्यिों को बांधकर जो पुल बनाया है वह काफी मजबूत पुल है। उस पर एक साथ 10 से 20 आदमी तक आवागमन कर पा रहे हैं। दर्जनों बच्चे एक साथ साइकल लेकर इधर से उधर निकल जाते हैं। पुल टस से मस नहीं हुआ। ग्रामीणों ने पुल की मजबूती का पूरा ध्यान रखा है। बनने के बाद पुल से एक साथ कई ग्रामीणों और मवेशियों को निकालकर पुल की मजबूती का परीक्षण भी कर लिया, उसके बाद ही बच्चों को पुल पार करने की अनुमति दी गई है।