20 रुपए का झोला ले जाइए, लौटाने पर रुपए वापस ले जाएं
हल्द्वानी
ये लो जी, दो किलो आलू, एक-एक किलो प्याज और टमाटर। भैया कितने हुए? 140 रुपये। ये लो पैसे काटो और सब्जी थैली में डाल दो। बहनजी पालीथिन बंद है। ये क्या भैया, कागज के लिफाफे में कैसे ले जाऊं सब्जी? जरा देखो, कोई थैला पड़ा होगा। थैला तो है बहनजी। 20 रुपये का। बाप रे! इतना महंगा? बहनजी आप सब्जी ले जाइये। अगली बार जब आएंगी, थैला लौटाकर 20 रुपये ले लेना। बहनजी को ये युक्ति पसंद आई। उपाय कमाल का था, सब्जियां भी घर पहुंच जाएंगी, अतिरिक्त मूल्य भी नहीं देना होगा।
नैनीताल के तल्लीताल में सड़क किनारे फड़ लगाकर सब्जी बेचने वाले विजय सिंह की यह युक्ति सभी को पसंद आ रही है। विजय की पहल ने हर व्यक्ति के रोजमर्रा के काम से जुड़ी बड़ी समस्या का आसान उपाय तलाश लिया है।
एकल उपयोग वाला प्लास्टिक देशभर में प्रतिबंधित हो गया है, ऐसे में विजय की पहल पर्यावरण संरक्षण व समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगाने वाली है। विजय बताते हैं कि कई बार विकल्प उपलब्ध नहीं होता। विकल्प हो तो लोग देर से सही, उसे अपनाते हैं। इसी सोच से उन्होंने कपड़े के थैले तैयार कराए।
विकल्प ने दिया रोजगार
विजय कहते हैं, थैला बेचने पर लोगों को 20 रुपये बहुत अधिक लगता है। वापसी का विकल्प देने पर हर कोई खुशी से खरीद रहा है। सब्जी, फल, राशन के लिए रोज थैले की जरूरत होती है। ऐसे में 10 में एक या दो ग्राहक ही थैला लौटाने आते हैं। इससे आदत भी सुधर रही। अगली बार से लोग घर से थैला लेकर आते हैं। इससे दर्जी के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
आटे के खाली बैग में दे रही सब्जी
हल्द्वानी दमुवाढूंगा में फड़ लगाने वाले देवेंद्र बिष्ट पांच, 10 किलो के आटे के खाली बैग में सब्जियां दे रहे हैं। थैले की कीमत पांच रुपये है। 100 से 150 रुपये की सब्जी ले जाने पर थैला मुफ्त देते हैं। पास के ढाबे व घर पर आने वाले आटे के खाली बैग एकत्र कर लेते हैं।
दूसरों को प्रेरित करने पर जोर
नगर निगम हल्द्वानी के सहायक नगर आयुक्त चंद्रकांत भट्ट कहते हैं देवेंद्र व विजय की पहल को दूसरों तक पहुंचाने पर जोर दिया जा रहा है। फल-सब्जी, राशन विक्रेताओं को महिला समूहों के जरिये बैग पहुंचाने का प्रयास है।