September 23, 2024

लड़कियों और लड़कों का साथ बैठना भारतीय संस्कृति के खिलाफ -नेता नतेसन

0

    तिरुवनंतपुरम

केरल में संख्या की दृष्टि से मजबूत हिंदू एझावा समुदाय के नेता वेल्लापल्ली नतेसन अपने एक बयान को लेकर चर्चा में आ गए हैं. नतेसन का कहना है कि लड़कियों और लड़कों का कक्षाओं में एक साथ बैठना भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) नीत सरकार की लैंगिक तटस्थता नीति (Gender Neutral Policy) पर रविवार को  मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब देते हुए नतेसन ने ये बातें कहीं.

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के बेहद करीबी माने जाने वाले नतेसन ने कहा, ''हम श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP), कक्षाओं में लड़कियों और लड़कों के एक साथ बैठने के पक्ष में नहीं हैं. हमारी अपनी संस्कृति है. हम अमेरिका या इंग्लैंड में नहीं रह रहे हैं.''

SNDP महासचिव ने कहा, ''हमारी संस्कृति लड़कों और लड़कियों का एक-दूसरे को गले लगाने और साथ बैठने को स्वीकार नहीं करती है. आप ईसाई और मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों में ऐसा होते नहीं देखते हैं.''

हालांकि, उन्होंने कहा कि नायर सर्विस सोसाइटी (NSS) और एसएनडीपी प्रबंधित शिक्षण संस्थानों में ऐसी चीजें हो रही हैं. एनएसएस और एसएनडीपी राज्य में दो प्रमुख हिंदू जाति संगठन हैं.

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, नतेसन ने कहा कि इस तरह का व्यवहार अराजकता पैदा करता है और आप इसे हिंदू संगठनों द्वारा प्रबंधित कॉलेजों में देख सकते हैं. यही एक कारण है कि ऐसे संस्थानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से अच्छे ग्रेड या वित्त पोषण नहीं मिलता है.

वेल्लापल्ली नतेसन ने कहा कि 18 साल से कम उम्र के या कॉलेजों में जो युवा छात्र-छात्राएं हैं, उन्हें साथ नहीं बैठना चाहिए या एक दूसरे को गले नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि वे अब भी पढ़ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और परिपक्व हो जाते हैं, तो वो जो चाहें कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों का एक साथ बैठना और एक-दूसरे को गले लगाना भारत में ठीक नहीं है.

SNDP  नेता ने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एलडीएफ सरकार खुद को एक धर्मनिरपेक्ष सरकार कहने के बावजूद धार्मिक दबाव के आगे झुक रही है और अपने कुछ फैसलों पर देर तक टिकती नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे समाज में गलत संदेश जाता है.

वह हाल में केरल सरकार द्वारा की गई उस घोषणा का जिक्र कर रहे थे, जिसमें कहा गया था कि सरकार यह तय नहीं करने जा रही है कि बच्चों को कौन-सा यूनिफॉर्म पहनना चाहिए या उन्हें Co-Ed स्कूलों में जाना चाहिए या नहीं. बता दें कि राज्य सरकार को लैंगिक तटस्थता नीति को लेकर विभिन्न मुस्लिम संगठनों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *