September 27, 2024

अयोध्या, काशी और मथुरा के बाद अब राजस्थान के अजमेर में 800 साल पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ सकता

0

जयपुर
अयोध्या, काशी और मथुरा के बाद अब राजस्थान के अजमेर में 800 पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ सकता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सांसद ने 12वीं सदी में बनी मस्जिद 'ढाई दिन का झोपड़ा' की जगह दोबारा देवालय और संस्कृत शिक्षण केंद्र शुरू करने की मांग की है। इसको लेकर उन्होंने केंद्र सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी को लेटर लिखकर इसे भारतीय समाज पर कलंक बताया है। दावा किया जाता है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने देवालय और संस्कृत शिक्षण केंद्र 'सरस्वती कंठाभरण महाविद्यालय' को तोड़कर 'ढाई दिन का झोपड़ा' बनवाया था।

जयपुर से लोकसभा सांसद रामचरण बोहरा ने केंद्रीय मंत्री को लेटर लिखकर कहा, 'ढाई दिन का झोपड़ा जोकि 12वीं सदी में महाराज विग्रहराज चौहान द्वारा देवालय और संस्कृत शिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था, उसे मोहम्मद गौरी के कहने पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़ दिया था। यह केंद्र वेद पुराणों का प्रसारक होने के साथ ही संस्कृत शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा। इस्लामिक आतंक की दासता का यह चिह्न आज भी भारतीय समाज के लिए कलंक है।'

बोहरा चाहते हैं कि इस मस्जिद की जगह दोबारा संस्कृति शिक्षण संस्थान को स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा, 'इसे मूल स्वरूप में परिवर्तित करने के लिए यह पत्र आपके विचारार्थ प्रस्तुत है। इससे महाराज विग्रहराज के लोकोत्तर व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ ही पुरातन एवं महत्वपूर्ण संस्कृत शिक्षण केंद्र पुन: स्थापित हो सकेगा, जोकि सनातन धर्म के संरक्षण एवं विस्तार में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।'

'ढाई दिन का झोपड़ा' ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से 500 मीटर की कम दूरी पर स्थित है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एसआई) विभाग की ओर से संरक्षित है। ढांचे के भीतर मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज अता की जाती है। मस्जिद की देखरेख राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ की ओर से किया जाता है। अजमेर दरगाह के बेहद नजदीक होने की वजह से हर दिन बड़ी संख्या में लोग 'ढाई दिन का झोपड़ा' भी देखने आते हैं।

ढाई में दिन में हुआ था तैयार, इसलिए पड़ा नाम
बताया जाता है कि देवालय और शिक्षण केंद्र को तोड़कर महज ढाई दिन में मस्जिद का रूप दिया गया था। तभी इसका नाम 'ढाई दिन का झोपड़ा' पड़ गया था। कहा जाता है कि इमारत में कई ऐसे चिह्न मौजूद हैं जिनसे इसके हिंदु धर्म से जुड़े होने का पता चलता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *